Hydrabad nagar nigam election Result

 

चुनाव के नतीजे आ गए हैं। तेलंगाना के हैदराबाद ग्रेटर हैदराबाद के नगर निकाय चुनाव के नगर निकाय चुनाव में बीजेपी ने अपना पुरजोर कोशिश करते हुए वहां पर ना सिर्फ योगी आदित्यनाथ को चुनाव प्रचार के लिए भेजा था बल्कि स्वयं गृहमंत्री भी वहां पर चुनाव प्रचार के लिए गए थे। इस ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार की वजह से बीजेपी इस बार तेलंगाना नगर निकाय में तेलंगाना के हैदराबाद नगर निकाय में 48 सीटें पाने में कामयाब रही है। लेकिन ही 48 सीटें उसे मेयर चुनने के लिए काफी नहीं है। उसको या तो टीआरएस के साथ या फिर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के साथ।

गठजोड़ करना पड़ेगा क्योंकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी अपना प्रश्न बरकरार रखते हुए 44 सीटें प्राप्त की है जबकि टीआरएस केवल। 54 सीट पर सिमट गई है जो पिछली बार की सीट 99 सीटें थी और इस बार बीजेपी जिस को 48 सीटें मिली है। वह पिछली बार केवल 4 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। यह केवल और केवल। ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार का नतीजा है और बाकी देश पूरा देखी रहा है। बीजेपी का क्या हाल है और क्या किस तरीके से देश को चला रहे हैं। किसानों का इन्हें कोई लेना-देना नहीं है। किसानों से बाकी कॉरपोरेट को इन्होंने पूरा किसानों को लूटने के लिए छूट दे दी है। इस बार तो पूरी तरीके से ही कॉरपोरेट को मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, जबकि किसान की मदद के लिए यह कभी आगे नहीं आते। कॉर्पोरेट के लिए इन्होंने एकदम चुनिंदा मंत्री अपने पढ़े-लिखे मंत्री जो काफी स्मार्ट रहते हैं, वह नहीं रखते हैं जबकि जो सबसे बिल्कुल थके हुए जो मंत्री रहते हैं 1 को कृषि मंत्रालय दिया जाता है। उनको कृषि विभाग कृषि कार्य से संबंधित मंत्रालय मिलता है। ऐसे बेमन से ही कृषि को करने लोग कीर्ति को। बेमन से देखने के लिए व्यवस्था करने वाली सरकार का नगर निकाय चुनावों पर इतना ज्यादा ध्यान था कि उन्होंने वहां गृहमंत्री तक को भेज दिया और क्योंकि नगर के लोग बीजेपी के लिए हमेशा फायदेमंद साबित हुए हैं क्योंकि नगर और नगर वासियों से ही बीजेपी को लेना-देना है। बाकी गांव और गांव वासियों और किसानों से बीजेपी को कोई लेना देना नहीं है। वहां उनकी बात सुनने के लिए कोई नहीं है और बीजेपी जिस तरीके से किसानों के विरोध में अपना प्रदर्शन कर रही है या किसानों के पोज में जैसे-जैसे उसके कार्य करते नजर आ रहे हैं किसानों का मन बीजेपी सपा। तरीके से ऊपर चला जा रहा है। किसान इस देश में किंग मेकर था और 3 मीटर रहेगा। किसान अभी भी 65 परसेंट हैं। आबादी का बीजेपी को यह भूलना नहीं चाहिए। अगर बीजेपी यह सोचती है कि किसानों के लिए अंत में कर्ज माफी है। इस तरीके की कोई अन्य योजना लाकर जैसा कि कांग्रेस ने 2009 में किया था। वह फिर से चुनाव जीत लेंगे तो अब किसान इतना मजबूर नहीं है कि आपको केवल कर्ज माफी के दम पर ही आपको सरकार में ला देगा। किसानों की भी और समझते हैं। इसके अलावा किसान कर्जदार बनता क्यों है? सबसे पहले तो यह है किसान कर्जदार बनता है। इसलिए है कि जब न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी आधी कीमत पर आप किसान की फसल को खरीदते हैं तो किसान। मजदूरों का पैसा चुकाने में बिजली का पानी का और जुताई निराई गुड़ाई का यह सब पैसे चुकाने में कर्जदार हुआ या होता चला जाता है और किसान कर्जदार बनता है। किसान कोई यहां ऐसो आराम की जिंदगी नहीं जी रहा है। इस देश में कि किसान ऐसो आराम के लिए कर्जदार बनता है या फिर भाई कोई बहुत ज्यादा।

अनाप-शनाप खर्च करता है, इसलिए करतार बनता है। एक तरफ कॉर्पोरेट है जिन्हें अपने खर्च करने की पूरी आजादी है। भाई अगर पर्सनल बजट के लिए भी जाते हैं। फैमिली को भी लेकर चाहते हैं तो वह का डेट बजट में उसको दिखाते हैं और उधर कर्ज में साथ ही साथ।

टैक्स में भी छूट लेते हैं। उसको दिखा कर एक तरफ किसान है जो अपना पूरे पैसा अपना सब टाइम लगाकर पूरे घर को सुबह 4:00 बजे से उठाकर शाम पूरे दिन पूरी रात मेहनत करने के बावजूद जो ईमानदारी से अपनी फसल बेचने को जाता है तो आप उसकी फसल को ठीक आधी कीमत पर खरीदे हैं। किसान के साथ अन्याय नहीं तो और क्या है उसके अधिकारों का हनन नहीं तो और क्या है का जवाब देश की जनता अगले इलेक्शन में जरूर देगी। आप बने रहिए। आप सरकार बनाते रहिए। एक राज्य के अलावा दूसरे राज्य में तीसरा राज्य में चौथे राज्य में किसानों का मत सोचना, क्योंकि किसानों की अगर आपने फसल या किसानों को उनका हक दे दिया तो फिर आपका गरीब वाला वोट बैंक कहां से प्राप्त होगा। पहले किसानों को करीब बनाओ उसके बाद उनका वोट बैंक बना।

एक टिप्पणी भेजें (0)
और नया पुराने