शेयर बाजार के चार प्रमुख सिद्धांत, जिन्हें डॉव थ्योरी (Dow Theory) का आधार माना जाता है, निम्नलिखित हैं:
1. बाजार सब कुछ डिस्काउंट करता है (Market Discounts Everything)
इस सिद्धांत के अनुसार, किसी स्टॉक की कीमत में सभी मौजूदा जानकारी (आर्थिक, राजनीतिक, और मनोवैज्ञानिक) पहले से शामिल होती है।
जैसे ही कोई नई जानकारी सामने आती है, कीमत तुरंत उसके अनुसार समायोजित हो जाती है।
2. बाजार तीन प्रकार के ट्रेंड्स में चलता है (Market Moves in Trends)
बाजार की कीमतें तीन प्रकार के ट्रेंड्स को फॉलो करती हैं:
प्राथमिक ट्रेंड (Primary Trend): दीर्घकालिक (6 महीने से अधिक) ट्रेंड, जैसे बुलिश या बियरिश।
माध्यमिक ट्रेंड (Secondary Trend): अल्पकालिक सुधार (पुलबैक/रिट्रेसमेंट)।
अल्पकालिक ट्रेंड (Short-Term Trend): रोजाना की हलचल, जिसे अक्सर शोर (Noise) माना जाता है।
3. प्राथमिक ट्रेंड तीन चरणों में चलता है (Primary Trend Has Three Phases)
बुल मार्केट (Bull Market):
संचय चरण (Accumulation Phase): स्मार्ट मनी निवेश करती है।
सार्वजनिक भागीदारी चरण (Public Participation Phase): आम निवेशक जुड़ते हैं।
अत्यधिक उत्साह चरण (Excessive Optimism Phase): अति-उत्साह में कीमतें बढ़ती हैं।
बियर मार्केट (Bear Market):
डिस्ट्रीब्यूशन चरण (Distribution Phase): स्मार्ट मनी बेचती है।
सार्वजनिक भय चरण (Public Fear Phase): आम निवेशक घबराहट में बेचते हैं।
निराशा चरण (Despair Phase): कीमतें निचले स्तर पर पहुंचती हैं।
4. औसत इंडिकेटर एक-दूसरे की पुष्टि करते हैं (Averages Confirm Each Other)
बाजार के विभिन्न सूचकांक (जैसे, डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज और डॉव जोन्स ट्रांसपोर्ट एवरेज) को एक-दूसरे की पुष्टि करनी चाहिए।
यदि एक इंडेक्स नई ऊंचाई पर पहुंचता है, तो दूसरे को भी इसका अनुसरण करना चाहिए।
निष्कर्ष:
डॉव थ्योरी के ये चार सिद्धांत बाजार को समझने और विश्लेषण करने का आधार हैं। निवेशकों और ट्रेडर्स के लिए यह आवश्यक है कि वे इन सिद्धांतों का उपयोग करें ताकि दीर्घकालिक निर्णय ले सकें।