अण्डों की मदद वाली कहानी शायद सुनी होगी | बागवानी के शौक़ीन एक आदमी को अपने एक गमले में तितली के कुछ अंडे दिख गए | अब उस दिन से वो मौका मिलते ही झाँक कर अण्डों को देखने पहुँच जाता | कब इसमें से तितलियाँ निकलें इसकी जल्दी मची हुई थी उसे | आखिर एक दिन अण्डों में कुछ हलचल सी महसूस हुई | आदमी फ़ौरन कुर्सी और मैग्नीफाइंग ग्लास लेकर आ बैठा |
अण्डों से तितलियाँ निकलते देखना अनोखा काम था | घंटों नजर रखने के बाद आखिर एक अंडे पर कुछ दरारें नजर आई | आदमी और उत्सुक होकर देखने लगा | थोड़ी देर के बाद आखिर अंडे से लार्वा निकला | वो तितली जैसा खूबसूरत बिलकुल नहीं था | आदमी थोड़ा निराश हुआ और उसने अपने एक जीव वैज्ञानिक मित्र को बताया, प्रोफेसर हंस कर बोला अंडे से लार्वा निकलता है, लार्वा प्यूपा बनता है और फिर उसमें से तितली निकलती है | अब तो आदमी और शौक से गमले पर नजर रखने लगा |
एक दिन जब प्यूपा से तितली निकलने वाली थी तो उसकी उत्सुकता और बढ़ गई | अब तितली बाहर आएगी, अब आएगी इसी इंतज़ार में लगा रहा | थोड़ी देर में तितली को छटपटा कर बाहर आने कि कोशिश करते देखकर उसे दया आने लगी | आखिर वो एक चिमटी लाया और प्यूपा की मदद करने लगा | जब चिमटी से वो प्यूपा को निकाल चुका तो उसने देखा की उसका सर बहुत बड़ा है | उसके पंख भी कमज़ोर बेकार से हैं, लेकिन वो बैठ कर तितली के उड़ने का इन्तजार करने लगा | तितली उडी नहीं, कुछ घंटे में मर गई !
दुखी आदमी जब अपने जीव वैज्ञानिक मित्र के पास गया और उसे पूरा किस्सा सुनाया तो जीव वैज्ञानिक हंस पड़ा | उसने समझाया सर से धक्का देकर प्यूपा तोड़ने में ही तितली का सर मजबूत होता है | छटपटा कर बाहर आने में ही उसके पंख मजबूत होते हैं | आदमी ने तितली की मदद करने की कोशिश में उसे मार डाला था !
अभी बोर्ड के रिजल्ट आये हैं और स्कूल से बच्चे बाहर की दुनियाँ में आने जा रहे हैं | Its a jungle out there ! ये तो आपको पहले से पता है | तो उनके पंखों को खुद ही मजबूत होने दीजिये | उन्हें सड़क के लायक बनाना आपकी ज़िम्मेदारी है, उनके लिए सड़क बना देना आपका काम नहीं है !
फिर भी हाथ डालने का मन है ? टीवी चला लीजिये, राहुल गाँधी रोज़ नजर आते हैं !!
~आनंद कुमार
अण्डों से तितलियाँ निकलते देखना अनोखा काम था | घंटों नजर रखने के बाद आखिर एक अंडे पर कुछ दरारें नजर आई | आदमी और उत्सुक होकर देखने लगा | थोड़ी देर के बाद आखिर अंडे से लार्वा निकला | वो तितली जैसा खूबसूरत बिलकुल नहीं था | आदमी थोड़ा निराश हुआ और उसने अपने एक जीव वैज्ञानिक मित्र को बताया, प्रोफेसर हंस कर बोला अंडे से लार्वा निकलता है, लार्वा प्यूपा बनता है और फिर उसमें से तितली निकलती है | अब तो आदमी और शौक से गमले पर नजर रखने लगा |
एक दिन जब प्यूपा से तितली निकलने वाली थी तो उसकी उत्सुकता और बढ़ गई | अब तितली बाहर आएगी, अब आएगी इसी इंतज़ार में लगा रहा | थोड़ी देर में तितली को छटपटा कर बाहर आने कि कोशिश करते देखकर उसे दया आने लगी | आखिर वो एक चिमटी लाया और प्यूपा की मदद करने लगा | जब चिमटी से वो प्यूपा को निकाल चुका तो उसने देखा की उसका सर बहुत बड़ा है | उसके पंख भी कमज़ोर बेकार से हैं, लेकिन वो बैठ कर तितली के उड़ने का इन्तजार करने लगा | तितली उडी नहीं, कुछ घंटे में मर गई !
दुखी आदमी जब अपने जीव वैज्ञानिक मित्र के पास गया और उसे पूरा किस्सा सुनाया तो जीव वैज्ञानिक हंस पड़ा | उसने समझाया सर से धक्का देकर प्यूपा तोड़ने में ही तितली का सर मजबूत होता है | छटपटा कर बाहर आने में ही उसके पंख मजबूत होते हैं | आदमी ने तितली की मदद करने की कोशिश में उसे मार डाला था !
अभी बोर्ड के रिजल्ट आये हैं और स्कूल से बच्चे बाहर की दुनियाँ में आने जा रहे हैं | Its a jungle out there ! ये तो आपको पहले से पता है | तो उनके पंखों को खुद ही मजबूत होने दीजिये | उन्हें सड़क के लायक बनाना आपकी ज़िम्मेदारी है, उनके लिए सड़क बना देना आपका काम नहीं है !
फिर भी हाथ डालने का मन है ? टीवी चला लीजिये, राहुल गाँधी रोज़ नजर आते हैं !!
~आनंद कुमार