वरदान रहेगा सदा अमर मर्दानी लक्ष्मीबाई का -कविता तिवारी की जोशीली कविता || गणतंत्र दिवस 2021 कविता हिंदी में



कविता तिवारी जी अपनी देेेशभक्ति कविताओ के लिए भारत भर में प्रसििद्ध हैैं । 

Jhansi ki Rani Poem

 

निर्जला शुष्क सी धरती पर मानवता जब कुम्भ्लाती है

जब घटा टोप अंधियारे में स्वातंत्र घडी अकुलाती है

जब नागफनी को पारिजात के सदृश्य बताया जाता है

जब मानव को दानव होने का बोध कराया जाता है

जब सिंघनाद की जगह श्रीगालो की आवाजें आती हैं

जब कौओ के आदेशों पर कोयलें बाध्य हो गाती हैं

जब अनाचार की पर छाई सुविचार घटाने लगती है

जब कायरता बन कर मिसाल मन को तद्पाने लगती है

तब धर्मयुद्ध के लिए हमेशा शस्त्र  उठाना पड़ता है

देवी हो अथवा देवरूप धरती पर आना पड़ता है

हरकोना भरा वीरता से इस भारत की अग्नाई का

वरदान रहेगा सदा अमर मर्दानी लक्ष्मीबाई का


गोरो की सत्ता के आगे थे जब वीर जनों के झुके भाल

झांसी पर संकट छाया तो जलुथी शौर्य की महा ज्वाल

अवला कहते थे लोग जिसे जब पहली बार सबल देखि

भारत क्या पूरी दुनिया ने नारी की शक्ति प्रवल देखि

लेकर कृपाण संकल्प किया निज धरा नही बटने दूँगी

मेरा सर चाहें कट जाय अस्तित्व नही घटने दूंगी

पति परम धाम को चले गये मैं हिम्मत कैसे हारूंगी

मर जाउंगी सामराग्न में या दो गोरो को मारूंगी

त्यागे श्रींगार अवस्था के रण के आभुष्ण धार लिए

जिन हाथों में कंगन खनके उन हाथों में हथियार लिए


शिशु प्रष्ठ भाग पर बाँध लिया  लगाम साधी दांतों में

फिर होकर के घोतक सवार ले लिए खडग निज हाथों में

जब तक महिशेष शीर्ष पर है है उदहारण तरुनाई का

बलिदान रहेगा सदा अमर मर्दानी लक्ष्मीबाई का.


गोरों की सेना पर रानी दावानल बनकर छाई थी

रण चंडी ने खप्पर भरकर तब अपनी प्यास बुझाई थी

उड़ चला पवन के वेग पवन बादल बादल बन बरस गया

चपला सम तलवारें चमकी दुश्मन पानी को तरस गया

रण बीच अकेली डटी रही साहस के तब पौवारे थे

दुश्मन से बाजी जीत गये पर अपनों से हम हारे थे

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                        : बेटियां 


वर्तमान जैसे तैसे कटता सभी का किंतु 

व्यापक भविष्य की कहानी होनी चाहिए 

मारकर एक रोज जाना सबको पड़ेगा 

मरने के बाद भी निशानी होनी चाहिए  

अश्रुओं की धार के समक्ष घुटने न टेके

हिंद वाली बेटी स्वाभिमानी होनी चाहिए

वक्त आ पड़े तो बैरियों का वक्ष चीर डाले

लक्ष्मीबाई जैसी मर्दानी होनी चाहिए



जिम्मेदारियां का बोझ परिवार पर पड़ा तो 

ऑटो रिक्शा ट्रेन को चलाने लगी बेटियां 

साहस के साथ अंतरिक्ष तक भेद डाला

 युद्धक विमान उड़ने लगी बेटियां 

और कितने उदाहरण ढूंढ कर लाऊं

 हर क्षेत्र  शक्ति आजमाने लगी बेटियां

 वीर की शहादत पर अर्थी को कंधा दें 

अब शमशान तक जाने लगी बेटियां 


घर में बटा के हाथ रहती है मां के साथ 

पिता की समस्त वाधा हरती है बेटियां

 कटु वाक्य बोलने से पहले सोचती है खूब 

मन में सहमति डरती है बेटियां

 बेटों हों उददंड भले आपका दुखा दे दिल 

कष्ट सह के भी धैर्य धरती है बेटियां

 प्रश्न यह ज्वलंत सबके लिए है आज 

नित्य प्रति कोख में क्यों मरती हैं बेटियां 


ललिता विशाखा राधा रानी बेटी होती नहीं

 यशोदा दुलारे नंद नंदन नाचाता कौन ?

अनुसुइया जैसी बेटी तब साधीका ना होती 

पालने में ब्रह्मा विष्णु रूद्र को झुलाता कौन ?

जनता जनार्दन बताएं एक बात आज 

सावित्री ना होती सत्यवान को बचाता कौन ?

सब कुछ होता पर एक बात सोच लेना,

 कविता ना होती तो यह कविता सुनता कौन ?।।


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