कविता तिवारी की कविता | गणतंत्र दिवस पर वीर रस की कविता

 




kavita तिवारी हिंदी भाषा की वर्तमान कवियत्रियों में अग्रणी हैं . उनकी कवितायेँ देशभक्ति से ओतप्रोत होती हैं . वीर रस की इस कवियत्री ने धरती मां पर अत्यंत की भावुक कविता लिखकर देश भर में वाहवाही लूटी. आज हम कविता तिवारी जी की देशभक्ति कविता यहाँ इस लेख में दे रहे हैं जिसे पढ़कर आप देशभक्ति की भावना से भर जायेंगे.


नाव सद्काम की सद्वृत्ति से निष्काम खेते हैं,

सदा इतिहास के पन्ने यही पैगाम देते हैं.

कभी भूले से भी यदि नारी सहे अपमान की पीड़ा

कभी श्रीराम के घोड़े को लवकुश थाम लेते हैं


बिना मौसम ह्रदय भी कोकिल से कुंजा नही जाता,

जहाँ अनुराग पलता हो वहां दूजा नही जाता

बिभीषण राम जी के भक्त हैं यह जानते सब हैं

मगर जो देश द्रोही हो उसे पूजा नही जाता


जिसे सींचा लघु से है वो यूँही खो नही सकती

सियासत चाह कर भी बिषबीज हरगिज वो नही सकती

वतन के नाम पर जीना वतन के नाम मर जाना

शहादत से बड़ी कोई इबादत हो नही सकती


कोई जर्रा नही ऐसा जहाँ पर रब नही होता

लड़ाई बे ही करते हैं जिन्हें मतलब नही होता

ओ मंदिर और मस्जिद की दीवानगी वालों

वतन से बढ़कर दुनिया में कोई मजहब नही होता


मैं भारत वर्ष की बेटी हूँ हरगिज दर नही सकती

मुझे मालूम है मरने से पहले मर नही सकती

जो कायर हो गया दुश्मन के आगे सर झुकता हैं

उसे मर जाउंगी लेकिन नमन मैं कर नही सकती






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