8 मार्च जो की
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है अब बस 2 ही दिन दूर हैं। 8 मार्च को धूम धाम से मनाने के लिए कई संस्थाओ नें पुरजोर तैयारियां शुरू कर दी हैं कुछ तो बाकायदा ad campaign करके महिलाओ को अपने यहाँ कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दे रहे हैं वहीँ कुछ लोगो का सवाल है की एक दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने से महिलाओ की स्तिथि में क्या सुधार आ जायेगा। महिलाओ की स्तिथि सुधरने का कार्य बर्ष पर्यन्त होते रहना चाहिय केवल एक दिन को महिला विशेष को समर्पित करने से कुछ नही होगा। मैं इन लोगो की बात से पूर्णतयः सहमत हूँ, लेकिन मेरे भाइयों साल भर सुधारवादी प्रकिर्या अपनाने के बाद कोई एक दिन तो ऐसा होना चहिये जिस दिन पिछले पूरे साल किये गये सुधार कार्यक्रमों पर विचार विमर्श / मंथन किया जा सके और यह निष्कर्ष निकला जा सके की उनमे से कितने सफल हुए कितने असफल। ताकि हम आगे आने वाले साल के लिए लक्ष्य तय कर सकें। यह देख सकें की हम कहाँ तक पहुँच गये और अभी मंजिल कितनी दूर है. इस उद्देश्य तो लेकर आनेवाले 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाएं और महिलाओ की स्तिथि सुधरने और समाज में उनका उचित स्थान दिलाने में उनकी मदद करें
यह बताना चाहूँगा की इस बार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का थीम है #BeBoldForChange . शिक्षा आत्म विश्वास बढती है और आत्मविस्वास से भरा हुआ इंसान बोल्ड फैसले लेने से हिचकिचाता नही है। और सामने आनेवाली मुसीबतो का डटकर मुकाबला करता है। नॉलेज वह हथियार है जिसके सहारे जग जीत जा सकता है। एक शिक्षित नारी न केवल अपने अधिकारों का भान होता है अपितु वह अपने परिवार पर आनेवाली समस्याओ को भी सुलझाने में मददगार साबित होती है क्योंकि परिवार में वह सबके व्यवहार सुख दुःख से हमेशा अवगत रहती हैं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है अब बस 2 ही दिन दूर हैं। 8 मार्च को धूम धाम से मनाने के लिए कई संस्थाओ नें पुरजोर तैयारियां शुरू कर दी हैं कुछ तो बाकायदा ad campaign करके महिलाओ को अपने यहाँ कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दे रहे हैं वहीँ कुछ लोगो का सवाल है की एक दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने से महिलाओ की स्तिथि में क्या सुधार आ जायेगा। महिलाओ की स्तिथि सुधरने का कार्य बर्ष पर्यन्त होते रहना चाहिय केवल एक दिन को महिला विशेष को समर्पित करने से कुछ नही होगा। मैं इन लोगो की बात से पूर्णतयः सहमत हूँ, लेकिन मेरे भाइयों साल भर सुधारवादी प्रकिर्या अपनाने के बाद कोई एक दिन तो ऐसा होना चहिये जिस दिन पिछले पूरे साल किये गये सुधार कार्यक्रमों पर विचार विमर्श / मंथन किया जा सके और यह निष्कर्ष निकला जा सके की उनमे से कितने सफल हुए कितने असफल। ताकि हम आगे आने वाले साल के लिए लक्ष्य तय कर सकें। यह देख सकें की हम कहाँ तक पहुँच गये और अभी मंजिल कितनी दूर है. इस उद्देश्य तो लेकर आनेवाले 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाएं और महिलाओ की स्तिथि सुधरने और समाज में उनका उचित स्थान दिलाने में उनकी मदद करें
आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं; आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं; आप एक औरत को शिक्षित करते हैं, आप एक पीढ़ी को शिक्षित करते हैं
ब्रिघम यंग .
वैसे आजकल तो नॉलेज का युग हैं तो इस युग में जिसके पास नॉलेज हैं सशक्त हैं बोल्ड हैं। इस युग की खास बात यह हैं की महिलाओ की अधिकांश आबादी पढ़ी लिखी ज्ञानवान हैं उनको अपने अधिकारों की समझ हैं।
जहाँ यह प्रश्न है की अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है (why international women's day is celebrated) इस प्रश्न का उत्तर मैं ऊपर दे चुका हूँ।