Docter saab ke aspataal mein

 डॉक्टर साब
आज डॉक्टरसाब के यहां जाना हुआ । सो हमने सुबह जाकर ही पर्चा बनवा लिया । पर्चा बनाने वाले भैया से पूछा तो उन्होंने पर्चे पर  समय अंकित होने की बात कही। उनकी आवाज आत्मविश्वास से लबरेज  थी। तो हम पर्चे पर अंकित समयानुसार पहुंच गए अपना मरीज लेकर। वहां पहुंचने पर पता चला कि डॉक्टरसाहब तो पर्चे पर अंकित समय से 1.5 hour बिलंब से आएंगे।
सच्चाई से सामना होने पर हमने अपने मरीज से वापस चलने को कहा। पर मरीज भी मन पक्का करके घर से चला था।  उसने कहा एक दो घंटे की कोई परवाह नही डॉक्टर के आने तक यहां इंतज़ार कर लेते हैं 1.5 घंटे बीत हमने तुरंत जाकर पर्चे वाले भैया से पूछा को डॉक्टर साब आएंगे नही क्या उन्होंने कहा कि डॉक्टर साब रास्ते में हैं अभी पहुंच रहे है बस । जब  मरीज चैन से बैठा है तो हमको कहे बेचैनी है। बैठ गए हुम् भी डॉक्टर साब के इंतज़ार में  । सामने की दीवार पर एलसीडी टेलीविशन लगा था जिसमे क्राइम पेट्रोल टाइप सीरियल चल रहा था। । लोग बड़े चाव से उस सीरियल को देख रहे थे मन में आया इलाज कराने आय सब लोग यहां सेअंजाने में ही एक बीमारी लेकर जाएंगे वो है पति पत्नीके रिश्ते  में शक। शक एक ऐसी बीमारी है जो अच्छे अच्छे रिश्तों को भी दीमक की तरह चाट लेती है। परंतु लोग समय बिताने के लिए और करें तो करें भी क्या। समय व्यतीत करने का एक ही तरीका अधिकांश लोगो तो पता हैं और वह है   टेलीविजन। खैर मजबूरी ममें ही सही 1 घंटे टेलीविजन को निहारते तो कभी गेट को निहारते और बीत गया। डॉक्टर साब अभी तक नही आय। मन नही मन तो उठ कर बाहर को निकाल आय अस्पताल के पास एक चमकती हुई कार की स्पीड कम होते देख अंदाज लगाया की हो सकता  है यह डॉक्टरसाब की कार है।
      कार रुकी और उसमें से पतली सी कद कांठी के लगभग जीवन के 40 बसंत देखा युवा कर से उतरा। युवा इसीलिए की डॉक्टर साब की चाल और विश्वास देख   25 बर्षीय युवा भी पानी भरता नजर आए।
    डॉक्टर साब को दरवाजे के अंदर आता देख सब लोग खड़े होकर उनसे नमस्ते करने लगे। सच में डॉक्टर एक बड़े सम्मान का पद है। इस व्यवसाय के साथ गरिमा प्रतिष्ठा और सम्मान सभी मिलता है। मै यह सोच ही रह था इतनी देर में डॉक्टरसाब अपने चैम्बर में जाकर निर्धारित सीट पर विराजमान हो चुके थे।
    उन्होंने मरीजो को देखना शुरू करने के क्रम में पहले मरीज को आवाज देकर बुलवाया। चूंकि पहला नंबर हमारे मरीज का ही था अतः मैं अबिलम्ब चैम्बर में दाखिल हुआ अपने मरीज के साथ। वहां जाकर पटलगा की डॉक्टर साब मरीज को बुलाने से पहले ही अपना काम स्टार्ट कर चुके हैं। उन्होंने मेरे चैम्बर में दाखिल होने से पहले अस्पताल के सबसे समझदार वर्कर को बुलाया और उससे आज के दिन जो कि डॉक्टरसाब के आटे आते आधा गुजर चुका था। का हिसाब लिया किसने कितना काम किया और किसका कितना काम पेंडिंग में है। उस समय जाकर एहसास हुआ कि अपने देखरेख में कर्मचारियों से काम करवाना इतना आसान भी नही है।
     सबकी हर दिन की रिपोर्ट लेनी पड़ती है। उसको डांटना भी हैं और उत्साहित भी करना है ताकि वह गलती किये बगैर अधिकाधिक कार्य कर सके। मैं डॉक्टर साहब की प्रबंधन की कला देखकर हैरान था । एक तो मरीजों के चेकउप की जटिल प्रकिया और ऊपर से अस्पताल का प्रबंधन। दोनों काम बहुत सी स्किल की डिमांड करते हैं। यूँ ही नही अस्पताल की सारी गतिविद्बियों का प्रबंधन हो जाता है । oxegen सिलिंडर से लेकर एम्बुलेंस नरसिंग स्टाफ मेडिकल रिप्रेसेंटटीवेस के साथ मीटिंग्स इतना सबकुछ मैनेज करने आसान काम नही होता है। 

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