मान लीजिये आज आपने 20 रुपये की पानी की बोतल खरीदी, और पीकर फेंक दिया। तो इस बोतल का 90 फीसदी हिस्सा 27-28 वीं सदी में नष्ट होगा। करीब 450 से 500 साल लगेंगे। यानि जिस बोतल में पानी पिया होगा वह आज भी मौजूद है। हर 60 मिनट में 6 करोड़ बोतल बेची जा रही है, अरबो खरबो का व्यापार है। हिन्द महासागर में करीब 28 पैच (प्लास्टिक पहाड़) का बन चुका है। जानवर मर रहे है, मछलियां, समुद्री जीव मर रहे हैं। अगला नम्बर आपका और मेरा है ।
फाइव स्टार और अन्य होटल में भारत मे रोज करीब 4 लाख पानी की बोतल का कूड़ा निकलता है। शादी विवाह में अब कुल्हड़ में पानी पीना, तांबे पीतल के जग से पानी पिलाना फैशन वाह्य है, बेल, कच्चे आम, पुदीना या लस्सी के शर्बत की जगह पेप्सी कोक की बोतल देना चाहिए नही तो लोग गंवार समझेंगे। विज्ञान के अनुसार सोडा प्यास बुझता नही, बढ़ाता है। फिर भी ठंडा मतलब ठंडा, प्यास लगे तो पेप्सी यह टीवी में दिखाता है।
यूरोप के बहुत देशों ने अपने प्रदूषण पर काबू पाया है, अब उनके नल का पानी पीने योग्य हो गया। लेकिन गंगा यमुना सहित सैकड़ों नदियों, लाखो कुंवे के देश मे पानी का व्यापार अरबो रुपये का है। लगातार भूजल नीचे जा रहा है, एनसीआर डार्क जोन बन गया है, देश के के महानगर में कूड़े और इससे रिसता लीचेत कैंसर पैदा कर रहा है। तो क्या हुआ? जो होगा देखा जाएगा..
सोचना आपको है आने वाली पीढ़ी को क्या देके जाना चाहते हो ।। मौत का यह कारोबार बदस्तूर जारी है। पॉलीथीन हटाओ देश बचाओ का नारा बहुत दिनों से सुन रहे हैं । और दुकानों व ठेलो से पॉलीथीन को हटाते अधिकारियों को देखा हैं। पर बड़ी बड़ी फैक्टरियों में इस्तेमाल होने वाली पैकिंग की पॉलीथीन को रोकने का कोई उपाय सरकार करती नज़र नही आ रही है। गंगा सफाई का अभियान भगवान भरोसे चल रहा है। सांसदों द्वारा गॉव लिए गए गांवो के नाम शायद ही उनके सांसदों को याद रहे हों ।
पर्यावरण संरक्षण के नाम पर कार्यवाही जितनी कागजों में हो रही है उतनी जमीन पर शायद ही अमल की जा रही हो। देश आंतरिक दुश्मनों को गिनने में लगा हैं। बाह्य पड़ोसी और दोस्तों को चीन अपने पाले में किये जा रहा है । देश अपने मित्र देश ईरान और नेपालकी दोस्ती को चीन के हाथों हार गया । ईरान ने जहां 2016 से 2020 तक चाहवार बंदरगाह के अधिकतर पोर्ट बनाने का जिम्मा चीन को दे दिया है। वहीं नेपाल ने भी अपने सुर बदल लिए हैं। नेपाली प्रधानमंत्री के पी ओली कुछ न कुछ बयान दे देते हैं जिससे दोनों देशों के बीच की दरार और बढ़ती जा रही हैं। अब तो अच्छे दिन दूर की कौड़ी नज़र आने लगे हैं।
अब बस एक काम जरूर हो गया है मस्जिद की अपेक्षा मंदिर तेज़ी से बनने लगे हैं। शायद देश की जनता को रोजगार बिजली साफ पानी से ज्यादा मंदिरों की जरूरत है। वे मर्यादा पुषोत्तम राम अयोध्या वाले जिनका पूरा जीवन अनुकरणीय है। उनके विचारों को जीवन में न उतारकर उनके नाम का मंदिर अयोध्या में बनवाकर उन्हें पूजनीय तो घोषित कर दिया । पर अनुकरणीय नही ।