Internet based teaching due to corona pandemic

कोरोना महामारी की वजह से सब कुछ बदलाब के दौर से गुजर रहा है। सुबह को घर में आफिस जाने वालों और स्कूल जाने वालों  की भगदड़ होती थी। सब सुबह सुबह आपने अपने जरूरी सामान को सही से बैग में रखने को टिफिन तैयार करने को घर की गृहणियों के पसीने छुड़वा देते थे बच्चे अलग परेशान करते थे और बड़े अलग। अब समय बदल गया है। बच्चों के भारी बस्तों की जगह टेबलेट या मोबाइल ने लेली है । और आफिस जाने वाले बड़े लोगो के बैग्स की जगह लैपटॉप ने लेली है। अब सुबह सुबह न तो बाथरूम जाने को नंबर लगाना पड़ता है। ना टिफिन को लेकर कोई आवाज आती है कि आज टिफिन में यह रख देना और आज टिफिन में वो रख देना। न ही बच्चे अब जिद करते हैं कि आज टिफिन नही ले जाऊंगा मम्मा आज पैसे देदो। 
कोरोना वायरस की वजह से सब बदल गया है। अब बच्चे अपने मोबाइल से घर में बैठकर ही क्लेसवर्क कर लेते हैं और टीचर मोबाइल से ही पढ़ाकर उन्हें होमवर्क भी दे देते हैं। 
        अब श्रीमती के श्रीमान भी आफिस नही जाते वे भी अपने लैपटॉप से ही असाइनमेंट सबमिट करके वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। गृहणियां सुबह सुबह की भगदड़ से मुक्त हो चुकी है। पति के पास भी टाइम है। और पत्नी भी फुरसत में है। तो इनकी भी शिकायत दूर की आपके पास हमारे लिये टाइम ही नही है जी। 
पर इस बदलाव के साथ खुद को ढालना इतना आसान नही है।
बच्चे बेशक घर में बैठ कर पढ़ रहे हो पर वे ििइंतेरनेट के मायाजाल में कब फस जाय कुछ पता नही। वे मोबाइल पर बैठकर अपनी क्लास कर रहै हैं या कुछ और। इसके प्रति माँ बाप को बहुत सजग रहने की जरूरत है। क्योंकि आजकल ििइंतेरनेट पर हर तरह की सामग्री सुझाव व लेख उपलब्ध है। जिसमे यही बच्चा भटक गया तो पढ़ाई की सारी व्यवस्था चौपट हो सकती है। 
           वहीं दूसरी ओर बच्चों का बाहर निकलना बैठना कम होने के कारण उनकड चिड़चिड़ापन आना स्वाभाविक
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