सोलर सिस्टम या सोलर प्लेट लगाने के क्या फायदे हैं हिंदी में बताओ

सोलर पैनल


सोलर सिस्टम लगाने के फायदे


सोलर पैनल, ये नाम सुना सुनाया सा लग रहा होगा। भले ही आपने कभी इसपर ध्यान न दिया हो। लेकिन सोलर पैनल है बड़े ही काम की चीज। काम की चीज सुनते ही आपके कान खड़े हो गए होंगे। आप इसके बारे में जानने के लिए उत्सुक भी हो गए होंगे। तो देर किस बात की आज हम आपको इसके बारे में कुछ विस्तृत जानकारी देने जा रहे हैं।साथ ही आप इस पोस्ट में सोलर सिस्टम के फायदे और नुक्सान के बारे में जानेंगे. सोलर पैनल को वैज्ञानिक भाषा में फोटोवोल्टिक कहा जाता है। सोलर पैनल इस नाम को सुनकर आप इतना तो समझ ही गए होंगे कि इसका संबंध सूर्य से है। दरअसल यह एक ऐसा यंत्र है जो सूर्य की रौशनी से ऊर्जा अवशोषित करता है।  इतना ही नहीं इस ऊर्जा को विद्युत के रूप में भी परिवर्तित करता है। है न बड़े काम की चीज। अब इसके बारे में जानने की आपके अंदर की उत्सुकता और भी ज्यादा बढ़ गई होगी, हो भी क्यों न भला यहां बात बिजली की हो रही है। जिससे हर किसी को आवश्यकता होती है, जैसे जीवन जीने के लिए भोजन, पानी की आवश्यकता है वैसे ही अब बिजली भी हमारी मुलभूत आवश्यकताओं में शामिल हो गई है। ये बात तो आपको भी पता होगी कि आपका बिजली का बिल  आपके बटुए को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि क्या आप सौर पैनलों पर खर्च होने वाले खर्च से अधिक बचत करते हैं।


सोलर पैनल क्या है ?




सोलर पैनल को समझने से पहले उसे समझना होगा जिसकी वजह से ये कार्य करता है। हम बात कर रहे हैं सौर ऊर्जा की जिसका जन्म सूर्य से होता है। सूर्य के प्रकाश में मिलने वाली ऊर्जा को हम सौर ऊर्जा कहते हैं। जो कि सोलर पैनल के अंदर विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने में अहम भूमिका निभाता है। सोलर पैनल का प्रयोग सूर्य से प्रकाश को परिवर्तित करने के लिए ही किया जाता है क्योंकि यह फोटोन से बना होता है। जानकारी के लिए बता दें कि विद्युत में इसका प्रयोग बिजली के भार को कम करने के लिए किया जा सकता है। इसके फायदों को देखते हुए आज के समय में ये हर जगह प्रचलित हो गया है। ज्यादातर जगहों पर लोग सौर पैनलों का उपयोग होने लगा है ।

सोलर एनर्जी सौर ऊर्जा ग्रीन एनर्जी यह आजकल बहुत ज्यादा चर्चा में है। लोग आजकल अपने घरों की छत पर सौर ऊर्जा पैनल फिट करवा रहे हैं ताकि वे फ्री में सर। ऊर्जा की मदद से घर के बिजली के उपकरण चला सके या अपनी बिजली का बिल कम कर सकें। सौर ऊर्जा के पैनल दो प्रकार के होते हैं जो इंडिया में यूज किए जा रहे हैं। एक बे पैनल जो पॉलीक्रिस्टलाइन होते हैं वो पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल वे पेनल होते हैं, जिनमें सोलर सेल के निर्माण में मिश्रित धातु यूज किए गए होते हैं। उनका जो सोलर सेल होता है वह मिश्रित धातु से बना हुआ होता है। इसलिए उन्हें पॉलीक्रिस्टलाइन सेल कहते हैं और दूसरे प्रकार के सेल मोनोक्रिस्टलाइन सेल होते हैं।                                               मोनोक्रिस्टलाइन सेल केवल और केवल एक धातु सिलिकॉन के बने हुए होते हैं अब इन दोनों की   एफिशिएंसी की बात करते हैं कि पॉलीक्रिस्टलाइन और मोनोक्रिस्टलाइन में कौन सा सेल बेहतर होता है पॉलीक्रिस्टलाइन जैसा की बहुत सारी धातुओं से मिलकर बना होता है। इसलिए पॉलीक्रिस्टलाइन की एफिशिएंसी कम रहती है और मोनो क्रिस्टलाइन की एफिशिएंसी ज्यादा रहती है क्योंकि यह एक धातु से बनकर बना मिलकर बना होता है और इसमें जो अंतर रजिस्ट्रेंट्स होता है, वह कम होता है। पॉलीक्रिस्टलाइन से यूज करके जो बनते हैं, उन्हें पॉलीक्रिस्टलाइन पैनलस्टलाइन को यूज करके उनसे उन्हें मोनोक्रिस्टलाइन  पैनल बोलते हैं। मोनोक्रिस्टलाइन पैनल जो रहते हैं उनकी खराब मौसम में भी उनकी जोकर। क्षमता है वह इतनी ज्यादा नहीं करती जितनी कि पॉलिकेट लाइन की घट जाती है। 

पॉलीक्रिस्टलाइन और मोनोक्रिस्टलाइन के अलावा दो प्रकार के पैनल और आते हैं जिनको हम भाई फेशियल पैनल कहते हैं तो और दूसरे पैनल जो रहते हैं, उनमें आते हैं। मोनू पार्क पहले बायफेशियल पर्व की खासियत यह होती है कि जो फोटो सूरज की किरणों के साथ आ रहा है वह सेल से अगर दूर जाकर अगर पैनल की सतह पर भी टकराता है तो सच है कि जो सतह पर पिछले सप्ताह के पिछले हिस्से से वह बाहर निकल के उस एनर्जी को स्टोर करके वह हिट के रूप में पुनः सेल पर जाता है और सेल में कुछ इलेक्ट्रॉन को प्रवाहित करता है। इसी तरीके से मोनू पर टेक्नोलॉजी जो होती है उसमें।

भी कुछ ऐसा किया जाता है जिससे कि उसकी फिसलती बड़े हमारे देश में एक नई स्टार्टअप स्टार्ट हुआ है जो आजकल आपको मोनो पर्क टेक्नोलॉजी के बेस्ट पैनल उपलब्ध करवा रहे हैं। बेस्ट क्यों क्योंकि जो पैनल के ऊपर जो गिलास लगा रहता है वह भी वह टेंपर्ड ग्लास यूज कर रहे हैं यानी कि वह अगर आप के छत पर बोले या? बंदर बंदर कुत्ते हैं करते हैं तो उनकी वजह से आपके जो पैनल है उन पर कोई टाइमिंग नहीं होगा। लूम सोलर भारत की हरियाणा के फरीदाबाद बेस्ट कंपनी है। बहुत ही अच्छा काम कर रही है। 

                                 अपने पैनलों में जो सेल इस्तेमाल करते  हैं, वह जर्मनी से इंपोर्ट किए जाते हैं और उसके बाद वह इंडिया में अपने पैनल मैन्युफैक्चरर करते हैं। साथ में उनके पास जो पैनल का स्टैंड है, वह जी आई का बना हुआ है। इस पर कोई जंग नहीं आती है और इस पैनल को इस स्टैंड को हम पैनल के साथ इस तरीके से लॉक कर सकते हैं कि कोई चोर भी इसे उठाकर नहीं ले जा सकता है।  यह पैनल मजबूती के साथ पेन स्टैंड पर लगे रहेंगे। पैनल के टूटने का डर खत्म इस बात से भी हो जाता है क्योंकि इस पर टेंपर्ड ग्लास लगा हुआ है। यदि आप लूम सोलर सिस्टम  अपने घर में स्टॉल कराना चाहते हैं तो इंक्वायरी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें या आप खुद से अपने यहां पैनल लाकर लगाना चाहते हैं। 375 वाट का 180 वाट का या उससे अधिक तो आप लूम सोलर की वेबसाइट पर जाकर उनका पैनल को डायरेक्ट भी खरीद सकते हैं। डायरेक्ट खरीदने के लिए नीचे लिंक दिया गया है। 


लूम सोलर की ऑफिसियल वेबसाइट


 



सोलर पैनल कैसे काम करता है ?




अब ये जानना भी जरूरी है कि आखिर ये काम कैसे करता है। सोलर पैनल को सूर्य के रौशनी की आवश्यकता होती है। सूर्य की रौशनी को वो एकत्र करता है और इसे बिजली में परिवर्तित करता है जिसका उपयोग आप अपने घरों या फिर व्यवसायों में भी कर सकते हैं। आप चाहें तो इन पैनलों का प्रयोग आप घर की बिजली के लिए भी कर सकते हैं। 



सौर ऊर्जा में कई कण मौजूद होते हैं जिसमें से कुछ नकारात्मक चार्ज प्रदान करता है तो कुछ सकारात्मक चार्ज प्रदान करता है। सोलर पैनल की बनावट कुछ इस तरह की होती है कि वो फोटॉन को अवशोषित करते हैं और ऐसा करने से एक विद्युत प्रवाह शुरू हो जाता है। जब सूर्य की रौशनी सोलर पैनल में मौजूद सेल पर पड़ती है तो फोटॉन से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा इलेक्ट्रॉनों को उनकी परमाणु कक्षाओं से बाहर निकलती है और फिर सौर कोशिकाओं द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र में प्रवाह होती है जो कि इन इलेक्ट्रॉनों को एक ही दिशा में खींचती है। देखते ही देखते ये ऊर्जा एक दिशा में फैलते हुए हुई सारे पैनल में फैल जाती है। इस प्रकार से सोलर पैनल ऊर्जा का निर्माण करते हैं। 


सोलर पैनल में उत्पन्न होने वाले ऊर्जा को नियंत्रिण करने के लिए इनमें डायोड का प्रयोग भी किया जाता है क्योंकि जब ये ऊर्जा का उत्पादन कर रहे होते हैं तो अत्यधिक गर्म हो जाते हैं जिससे खतरा उत्पन्न हो सकता है यही कारण है कि डायोड इसे नियंत्रित करने व सुरक्षित रखने का काम करता है। 




सोलर पैनल लगाने के क्या फायदे हैं ?




सोलर पैनल से होने वाले फायदों की बात करें तो ये अनगिनत हैं। इसके तमाम फायदे हैं। 




प्रदुषण मुक्त वातावरण  


बात करते हैं सबसे बड़े व अहम फायदे की तो सोलर पैनल किसी भी तरह से प्रदुषण युक्त नहीं है। इससे उत्पन्न होने वाले ऊर्जा व विद्युत निर्माण की प्रक्रिया के दौरान इसमें किसी भी तरह का प्रदुषण नहीं होता है। जो कि हमारे वातावरण के लिए सबसे जरूरी है। यह किसी भी तरह का ध्वनि प्रदुषण, विकिरण उत्पन्न या फिर वायु प्रदुषित नहीं करता है। यानि की आप समझ सकते हैं कि प्रदुषण के सभी स्रोतो पर यह खरा उतरता है। 



बिजली के बिल कम 

यह एक ऐसी समस्या है जो हम सभी को परेशान करती है, चाहे वो कोई भी हो बिजली का प्रयोग तो सभी करते हैं पर जब भारी भरकम बिजली बिल चुकाना होता है तो हर कोई त्रस्त हो जाता है। पर आपको पता होना चाहिए की सोलर पैनल लगाने के बाद आपका ये टेंशन कम हो जाएगा। सोलर पैनल लगाते ही पहले दिन से बिजली बिल कम हो जाता है। ये बात भी सच है कि अपनी खुद की बिजली उत्पन्न करने का मतलब है कि आप उपयोगिता आपूर्तिकर्ता से कम उपयोग करेंगे। 



विविध अनुप्रयोग 



सौर ऊर्जा का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों के लिए किया जा सकता है। आप चाहे तो इसे  घर, ऑफिस, हॉस्पिटल, फैक्ट्री, स्कूल, और पेट्रोल पम्प कहीं भी लगवा सकते हैं। इससे हम बिजली उत्पन्न कर सकते हैं। सौर ऊर्जा का उपयोग ऊर्जा ग्रिड तक पहुंच के बिना भी उन क्षेत्रों में बिजली का उत्पादन कर सकता है व एक सीमित मात्रा में स्वच्छ पानी की आपूर्ति भी कि जा सकती है। वाले क्षेत्रों में पानी को बाहर करने और अंतरिक्ष में उपग्रहों को बिजली देने के लिए। इसके अलवा कई बार तो भवन निर्माण में भी यह काम देता है।  


 


कम लागत 


सोलर पैनल लगाने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वे कम लागत का होता है। बिजली की तुलना में छत पर प्रयोग किए जाने वाले सोलर पैनल काफी सस्ते होते हैं। खास बात तो यह है कि आज के समय में सोलर इंस्टॉलेशन भारत के कई आवासीय क्षेत्रों में ग्रिड समता प्राप्त कर रहे हैं। यही नहीं कई मकान मालिको के लिए छत पर लगाए गए सोलर पैनल से बिजली के बिल में कटौती करने में भी मदद मिलती है। छत पर किए गए पैनल के प्रयोग से भवन में बिजली की आपूर्ति आसानी से कर सकते हैं। क्योंकि उन्हें ग्रिड से कम बिजली खरीदने की आवश्यकता होती है, जिससे ऊर्जा लागत पर बचत होती है।




सुरक्षित निवेश 



वैसे ये कहना गलत नहीं होगा कि सोलन पैनल एक सुरक्षित निवेश है क्योंकि बिजली बिल में समय समय पर उतार-चढ़ाव होती ही रहती हैं। इसलिए हम एक निश्चित अमाउंट तय नहीं कर सकते हैं। लेकिन वहीं बात करें सोलर पैनल से प्राप्त होने वाले ऊर्जा की तो इनकी कीमत का अंदाजा हम आसानी से लगा सकते हैं। एक बार इसे इंस्टॉल करा लेने के बाद वास्तव में आप निश्चित रूप से 10 वर्षों तक के लिए बिजली उत्पादन का अंदाजा लगा सकते हैं। यही कारण है कि इसे एक तरह से सुरक्षित निवेश माना जाता है। ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम लेकर न सिर्फ हम अपने घर की बिजली के बिल बचा सकते हैं बल्कि इससे उत्पन्न एक्स्ट्रा बिजली को ग्रिड को बेंचकर पैसे भी कमा सकते हैं . बिजली बिल में बचत के साथ साथ बिजली बेंचने से होने वाली एअर्निंग को भी यदि हम जोड़ लेते हैं तो सोलर सिस्टम का रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट(RoI) अन्य किसी भी प्रकार के निवेश से कहीं ज्यादा होगा. इसीलिए यदि आप निवेश करने का विचार रखते हैं तो सोलर सिस्टम सबसे उत्तम निवेश है वर्तमान समय में.


 

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मेंटेनेंस 


सोलर पैनल के रखरखाव के लिए भी बहुत कम ध्यान देना पड़ता है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि इसे आप छत पर रख सकते हैं। यह किसी भी तरह का सोर भी नहीं करता इसकी बनावट ऐसी होती है कि आप इसे 10 सालों तक आसानी से प्रयोग कर सकते हैं। छत पर रखने के कारण आपको इसे किसी चीज से बचाना भी नहीं होता है इसलिए हम यह कह सकते हैं कि इसे बहुत कम रखरखाव की आवश्यकता होती है।  ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम करख रखाब तो और भी किफायती होता हैं . क्यूंकि इसमें बैटरी का उपयोग नही होता हैं .तो बैटरी की मेंटेनेंस कास्ट बच जाती हैं.




मौसम के अनुकूल 


छत पर लगाए गए सौलर पैनल बिजली उत्पादन में सूर्य के प्रकाश का उपयोग करते हैं। इसलिए यह भारत में अत्यधिक प्रयोग किया जाता है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भारत एक भौगोलिक स्थान पर स्थित है जहां पर्याप्त उष्णकटिबंधीय धूप मिलते ही रहता है। इस प्रकार, छत पर मौजूद सोलर पैनल यहां उपयोग किए जाने के लिए सबसे उपयुक्त है।  


ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत


सोलर पैनल  बिजली निर्माण में सूर्य के प्रकाश का उपयोग करता है यही वजह है कि वो ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों की तुलना में पर्यावरण के लिए कम प्रदूषण मुक्त है। वहीं अगर बात करे किसी जनरेटर की तो इसमें शोर के साथ हानिकारक गैसों के उत्सर्जन भी होता है जो हमारे स्वास्थ व वातावरण के लिए बिलकुल हानिकारक है। हालांकि यह ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत है जो जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करता है।  



हरित ऊर्जा का स्रोत 


हम आधुनिक युग में जी रहे हैं जहाँ अधिक से अधिक लोग पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं को अपना रहे हैं। उपभोक्ताओं में देखा जाए तो विशेष रूप से औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ता, पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में योगदान करने के लिए पूंजी भी निवेश कर रहे हैं। पर्यावरण के अनुकूल ग्राहक ग्रिड पावर से अधिक भुगतान करने के लिए तैयार हैं। हालांकि विशेषज्ञों की माने तो अक्षय ऊर्जा पर सब्सिडी जारी रखने के खिलाफ चेतावनी दी गई है क्योंकि इससे सब्सिडी बनी रहती है। इससे भी बुरी बात यह है कि 2017 में 80% सोलर पैनल इन्फ्रास्ट्रक्चर एशिया आधारित निर्माताओं से आयात किया गया था, जिसका अर्थ है कि ये फंड अमेरिकी कंपनियों का समर्थन नहीं कर रहे हैं। करदाता द्वारा वित्त पोषित सब्सिडी विदेशी, विशेष रूप से एशियाई, विनिर्माण को वित्त पोषित कर रही है। हालांकि, एक अस्थायी समाधान प्रदान कर सकता है।





सोलर पैनल लगाना होगा कितना किफायती ?



आए दिन बिजली महंगी होती जा रही है, इसका सबसे ज्यादा असर आम लोगों की जेब पर पड़ रहा है। ऐसे में हम सभी यही सोचते हैं कि जितना हो सके बिजली की बचत करें। लेकिन अफसोस कि ये सोचने भर ही होता है कितना भी बचत करने के बावजूद हम बिजली के बोझ से दब ही जाते हैं। 


अगर बात करें सोलर पैनल की तो यह आपको इस बोझ से आजाद कर सकता है। जी हां यही कारण है कि सरकार भी इसे लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है। उदाहरण के लिए, एक आवासीय संघीय कर क्रेडिट करदाताओं को 31 दिसंबर, 2020 तक सेवा में रखे गए इंस्टॉलेशन लागत के 26% का दावा करने की अनुमति देता है। 2021 में क्रेडिट घटकर 22% हो जाता है और 31 दिसंबर, 2021 को समाप्त हो जाता है। यही नहीं इसके अलावा आपके राज्य के आधार पर, आपको नकद प्रोत्साहन, संपत्ति कर छूट, छूट शुल्क और शीघ्र परमिट जैसे अतिरिक्त प्रोत्साहन मिल सकते हैं। कुछ राज्यों में, सौर पैनल वाले घर मालिक अपनी स्थानीय उपयोगिता कंपनियों को अतिरिक्त बिजली बेच सकते हैं। नवीनीकरण और दक्षता के लिए राज्य प्रोत्साहन के डेटाबेस की समीक्षा करके अपने राज्य में उपलब्ध क्रेडिट देखें। यदि आप अपने यहां सोलर पैनल 2 दो किलोवाट का लगाते हैं तो उसके लिए उसे एक दिन में 10 घंटे तक धूप चाहिए ऐसा होने से करीब 10 यूनिट तक बिजली का निर्माण होगा यानि की आप हर माह करीब 300 यूनिट बिजली का प्रयोग कर पाएंगे। 



यही नहीं केंद्र सरकार ने यह टारगेट किया है कि साल 2022 तक ग्रीन एनर्जी का उत्पादन 175 गीगावाट तक होना चाहिए। इसके प्रयोग के लिए सरकार की तरफ से आपको सब्सिडी भी मिल सकता है। यही नहीं अगर आपकी इच्छा हो तो आप अपने छत पर सोलर पैनल इंस्टॉल कर बिजली बनाकर ग्रिड में सप्लाई कर सकते हैं इस सिस्टम में फायदा यह है कि आपके घर की छत पर लगे सोलर पैनल से जितनी बिजली बनेगी, आपके बिजली बिल में हर महीने आपको उतनी ही राहत मिल जाएगी। सोलर पैनल प्रौद्योगिकी को तुरंत बदलती है जैसे कि ये समझ लें कि आज जो चीज बहुत सस्ती है उसे कल और भी अधिक सस्ती चीज से बदला जा सकता है। अगर आप सोलर पैनल लगाने की सोच रहे हैं तो पहले कीमत की जांच करे। यह आप ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन भी कर सकते हैं। सौर पैनलों की लागत निर्माता द्वारा कई बिंदुओं के आधार पर निर्धारित की जाती है जैसे कि पैनलों की दक्षता और अपेक्षित दीर्घायु होगी । जैसा कि आप सोच सकते हैं, समय की लंबी अवधि में दक्षता जितनी अधिक होगी, पैनल उतने ही महंगे होंगे। ऐसे में आप पूरी तरह से जांच समझकर ही खरीदारी करें।


अपने क्षेत्र में लूम सोलर की डीलरशिप लेने के लिए कमेंट बॉक्स में लिखें ।हमारे टीम मेंबर्स आपसे संपर्क करके डीलरशिप की फीस व शर्तें बता देंगे । धन्यवाद 

लूम सोलर भारत की नंबर 1 कंपनी है जो प्रीमियम क्वालिटी के सोलर पैनल बनाती है ।

लूम सोलर पैनल की प्राइस लिस्ट 




MPPT और PWM सोलर PCU में क्या अंतर है।
MPPT सोलर मॉड्यूल सोलर पेनल्स की एफिशिएंसी का 90 प्रतिशत तक इस्तेमाल कर पाते है। जबकि PWM टेक्नोलॉजी वाले सोलर PCU लगभग 60 से 70 फीसदी ही एफिशिएंसी का इस्तेमाल कर पाते हैं। 
आजकल बाजार में MPPT PCU ही ज्यादा बिक रहे हैं क्योंकि सभी ग्राहक अच्छी तरह से यह जानते हैं कि pwm pcu लेकर वे अपना पैसा ऐसी तकनीक खरीदने में लगा रहे हैं जो उनके सोलर पैनल की मात्र 60 प्रतिशत एफिशिएंसी ही इस्तेमाल कर पाएंगे। 

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