मोटिवेशनल वीडियो देखने पर हम कुछ समय तक ही मोटीवेट क्यों रहते हैं

 विचार की बात अद्भुत और अनंत है । विचार बड़े बड़े कर्मो के पीछे एक बीज की तरह कार्य करता है। इंसान यदि विचारवान है तो बुद्धिमान है ऐसा समझा जाता है। क्योंकि विचारवान व्यक्ति क्रियाशील होता है। 

       यदि विचार न हो तो किर्यशीलता मनुष्य को भटका देती है। इसीलिए हर कर्म के पीछे एक विचार होना आवश्यक है । वर्तमान समय में इसे हम उद्देश्य लक्ष्य इत्यादि नामों से जानते हैं । बिना लक्ष्य भटकाव ही भटकाव है। लक्ष्य कुछ और नही एक विचार है । विचार को मूर्त रूप देना उद्देश्य है ।

मोटिवेशनल वीडियो इंसान के विचारों को मथते हैं और उन्हें उन्नत बनाते हैं । जैसे दही से घी निकलते हैं । उसी प्रकार मोटिवेशनल स्पीकर्स आपके अंदर से व्यर्थ विचारों की महत्ता कम कर उत्कृष्ट विचारों को नया आयाम देने का काम करते हैं। मन में उत्कृष्ट विचारों का सृजन बहुत आनंद देने वाला होता है। क्योंकि उत्कृष्ट विचारों से भविष्य में उन्नत परिणाम पाने का विचार मन में अनायास ही आ जाता है। 

    परंतु अच्छे विचारों से उत्कृष्ठ परिणाम प्राप्त करने के लिए विचार का संयोग कर्म के साथ होना अति आवश्यक हैं। यदि कोई विचार केवल विचारावस्था में ही आपके मन में रहे और वह किसी कर्म से न बंधे तो कभी मूर्त रूप में नही आ सकता। और विचार का मूरत रूप में न आना वरन विचारावस्था में रहना घातक साबित हो सकता है। क्योंकि विचार से शाखाएं निकलती रहती है। यह शाखा शंकाओ की चेष्ठा की होती हैं जो विचार को दूषित करती हैं। दूषित विचार दूषित परिणाम देता है। मोटिवेशनल स्पीकर्स के विचार सुनकर यदि आप जिंदगी में अमल कर पाने में नाकाम रहते हैं। परंतु आपको मोटिवेशनल स्पीकर्स के विचार सुने विना अच्छा भी नही लगता। तो आप शराब सिगरेट जैसे नशे के आदि हैं या बहुत जल्द होने वाले हैं। 

क्योंकि आप बिना कर्म किये आनंद की कामना करने वाले व्यक्ति हैं। अच्छे विचार आपको छणिक आनंद दे सकते हैं । परंतु कर्म ही एक ऐसा माध्यम हैं जो आपके सुख की अवधि को बढ़ाता हैं। विचारों का सुख यदि 2 घंटे रहता है। तो उन विचारों से जनित कर्म आपको 2 वर्षों या 2 दशकों से भी ज्यादा सुखी रख सकता है। 

विचार बीज है तो कर्मफल बृक्ष है। जैसे बीज से विशाल काय बृक्ष बन सकता है। उसी प्रकार उत्तम विचार से कर्म करने पर कितनी भी बड़ी सफलता अर्जित की जा सकती है। 

भले ही आज का जमाना स्पेशलाइजेशन पर जोर देता हो। परन्तु जो व्यक्ति अपने स्पेशलाइजेशन को जर्नालायस करने में सक्षम हो जाता है । उसकी सफलता निश्चित होती है।

बस कर्म किये जा फल की चिंता मत कर 

यह संदेश बहुत आम दिख पड़ता है परंतु इसमे जीवन का सार छुपा है और इसीलिए यह बेहद खास संदेश है । 

कर्म करने से ही कार्य सिद्ध होता है । बिना कर्म तो विचार शक्तिहीन होता है। किसी विचार पर कर्म करने से बदलाव आता है और यह बदलाव सकारात्मक होता है तो लोग उससे जुड़ते जाते हैं ।

 अधिक लोगो के जुड़ने से विचार मजबूत होकर कार्यरूप लेता है इस तरह और बड़े बदलाव होते हैं। सकारात्मक विचार मनुष्य जाति को ऊपर उठाते हैं जबकि नकारात्मक विचार जीवन स्तर में हिरास करते हैं।

     मनुष्य विचारों का पुतला हैं । कहते हैं दिनभर में किसी साधारण मनुष्य के मन में 65000 विचार आते हैं । और इनमें से 90 परसेंट वही होते हैं जो कल उसके मन में आय थे। इस तरह यदि यह व्यक्ति केवल विचारों में फसकर हर सकारात्मक विचार पर खुश हो और नकारात्मक पर रोये तो इसकी जिंदगी दुख में बीत जाएगी। क्योंकि इंसान की यह फितरत होती है । खुशियों  से बह ज्यादा देर खुश नही रहता बल्कि समान रूप के दुख भी उसे ज्यादा दिनों तक दुखी रखते हैं । 

            सुख का और अधिक समय तक आनंद लेने के लिए और दुख से जल्दी निजात पाने के लिए हर इंसान को कर्म का सहारा लेना ही पड़ेगा ।

कर्म करने के उपरांत यदि इंसान कर्म फल के इंतजार में समय गवाएंगा । तो भी जीवन व्यर्थ है। अपने आपको न तो दुख को समर्पित करें न ही सुखो को ही। अपने आपको अगर आपने कर्म को समर्पित कर दिया तो आपको बड़े से बड़े दुख भी छोटे दिखाई पड़ने लगेंगे। 

आपके आखों के सामने से सभी संकट के बादल छट जाएंगे और जो शेष रह जायेगा वह उजाला ही उजाला होगा।

यदि कोई दुखी व्यक्ति पूजा करता है वहीं दूसरे पूरे समर्पण के साथ कर्म करता है । तो कर्म करने वाला व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनो रूप से केवल पूजा के आसरे पर रहने वाले व्यक्ति से ज्यादा स्वस्थ होगा।


      यदि एक कर्म पर हम अपने आपको केंद्रित करते हैं और पूर्ण समर्पण के साथ उस कार्य का निष्पादन करते हैं। तो न सिर्फ हमारी कार्य क्षमता सुधरती हैं वरन मन के भटकाव में भी उत्तरोत्तर कमी आती हैं। 

और निश्चित रूप से एक दिन ऐसा समय आता है । जब आप अपने मन में अनेक विचारों के मायाजाल से मुक्त सिर्फ और सिर्फ एक विचार पर अपने आपको केंद्रित कर पाते हैं। 

जिस दिन ऐसी स्तिथि आ जाती है उस दिन से आप अपना कंट्रोल खुद अपने हाथ ले लेते हैं। आप भाग्य के सहारे नही रह जाते । आप अपने मन पर कंट्रोल कर इस जीवन रूपी कल्प वृक्ष से मन चाहा फल प्राप्त कर सकते हैं। 

यह काम आप साधना के माध्यम से भी कर सकते हैं । लेकिन साधना का रास्ता कम कंटकाकीर्ण नही है । उस मार्ग पर भी बहुत से संकट हैं। क्योंकि मन को वश में करना किसी बेलगाम घोड़े को वश में करने से कम नही है।

     इसीलिए गीता का उपदेश देते वक्त श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि मुझ तक व्यक्ति सभी भावो से स्वच्छ होकर शांत चित्त होकर ही पहुंच सकता है। 

ज्ञानमार्ग भी मुझ तक आता है और कर्म का मार्ग भी। 

इसीलिए दोनो मार्गों का महत्व समान है और यह अलग अलग प्रकृति वाले लोगो के लिए हैं इसीलिए अलग अलग हैं वरना आते दोनो मुझ तक ही हैं 

      यदि आप कर्म का मार्ग चुनते हो तो आपको नित्य कर्म करते जाना है । फल की चिंता में समय नष्ट करने वाले व्यक्ति कभी मोक्ष नही प्राप्त कर पाते हैं। क्योंकि मनचाहा फल उन्हें सुख और मन के विपरीत फल उन्हें दुख के भव सागर में हमेशा बांधे रखता है।


मन चुम्वक की भांति कार्य करता है। शुरआत में इसका एक एक न्यूरॉन अलग अलग विचारों से प्रेरित हो अलग अलग दिशा में स्वतः आ

कार्यरत रहता हैं। लेकिन यदि थोड़ा ध्यान लगाकर हम इसे एक कार्य पर केंद्रित कर लेते हैं तो इसका प्रत्येक न्यूरॉन एक विचारपर केंद्रित हो एक शक्तिशाली चुम्बक का रूप ले लेता है। फिर आप जो चाहें वो रिजल्ट पा सकते हैं । 

मन को एक विचार पर केंद्रित करना बहुत आसान नही होता है । 

लेकिन कुछ ऐसे टूल हैं जो मन को एक विचार पर केंद्रित करने में मदद करते हैं 

इनमे से मुख्य है  आस्था विश्वास और समर्पण इत्यादि।

यदि आपकी आपने विचार में आस्था है तो मन वहां केंद्रित रहेगा वह इधर उधर भागेगा नही,

आस्था हो पर विश्वास न हो तो भी मन इधर उधर जा सकता है। विश्वास से मेरा मतलब है आप कोई कर्म कर रहे हैं और आपको यह विश्वास न हो कि इस कर्म का कोई हितकर परिणाम आएगा तो आप ज्यादा देर तक उस कर्म को एक चित्त होकर नही कर सकते हैं। 

और जब किसी विचार पर आस्था और विश्वास हो तो उस विचार पर अपने आप को समर्पित कर देने वाला व्यक्ति ही अपने मन और इन्द्रियों को भटकाव से बचाकर उनका स्वामी बन सकता है ।

और इस बात से जो लोग अनभिज्ञ रहते हैं वे जिंदगी भर बाहर से मोटिवेशन खोजते रहते हैं। और मोटिवेशनल वीडियो देखकर अपनी मृग तृष्णा को तत्काल शांत कर लेने वाले व्यक्ति जीवन भर भटकते रहते हैं।


       हमेशा याद रखो की सबसे स्ट्रांग मोटिवेशन खुद के अंदर से आता है। अगर आपके अंदर से किसी काम को करने के लिए नही आता है तो आप भटकाव वाली स्तिथि में हैं मन को आपने बहुत विकल्प दे रखे हैं। मन को किसी एक काम पर फोकस  करो और संकल्प करते हुए इस काम में सफल होने के लिए जी जान से जुट जाओ । जब आप इस काम को पूरा करके सफल हो जाओगे तो अंदर से  मोटिवेशन स्वयं ही आने लगेगा। 

          शुरुआत करो भले ही काम छोटा हो पर आप उसमें अपना मन 100 परसेंट लगा दो। फिर जो रिजल्ट आपको मिलेगा । वह आपको इतना उत्साहित कर देगा कि आपको मोटिवेशनल वीडियो देखने की जरूरत नही होगी।


        इस तरह मन लगाकर यदि एक के बाद एक काम करते गए तो आपके पास न मोटिवेशन की कमी रहेगी न ही मोटिवेशन को बरकरार रखने वाले कारक , सफलता और उत्साह की कोई कमी होगी। इस तरह ही लोगो ने अपनी किस्मत को बदला है। फिर चाहे वे विराट कोहली हो , बाबा रामदेव हो या महेंद्र सिंह धोनी हो। 

क्योंकि कार्य करने से ही सिद्ध होता है ना कि कार्य को सोचते रहने से या उसका प्लान बनाते रहने से। 

सोचो, प्लान करो , फिर प्लान को पूरे मन से अप्लाई करो। तुम्हें जीतने से कोई नही रोक सकता। लेकिन यदि वीडियो देख देख कर मोटिवेशन लेते रहे और किया कुछ नही। तो तुम्हे कोई जिता नही सकता। 

इसीलिए कहते हैं मन के हारने से हार है और मन के जीतने से जीत। 


दूसरी बात यह की कभी अपने आप को अपने लक्ष्य से मत भटकने दो। क्योंकि भटकने से आपका समय और मोटिवेशन या उत्साह अथवा उस कार्य को करने का जूनून कम होता है। अपने आपको दूसरे काम पर तभी लगाओ जब पहला काम पूर्णतया खत्म कर दो। आजकल मशीनीकरण के दौर में लोग मशीनों की तरह मल्टीटास्किंग होना पसंद करते हैं । 

याद रहे आप मशीन नही हैं मल्टीटास्किंग के चक्कर में आप एक काम पर  फोकस करने की एबिलिटी खो सकते हैं। और अपने मेन्टल कॉम्नेस(calmness) को खो सकते हैं

                   

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