कुँवर बेचैन
सबकी बात न माना कर ....कुँअर बेचैन का गीत | hindi poetry on life
Hindi Poetry on Life सबकी बात न माना कर,खुद को भी पहचाना कर। sabki baat na mana kar , khud ko bhi pehchana kar दुनिया में जीना …
Hindi Poetry on Life सबकी बात न माना कर,खुद को भी पहचाना कर। sabki baat na mana kar , khud ko bhi pehchana kar दुनिया में जीना …
उँगलियाँ थाम के खुद चलना सिखाया था जिसे राह में छोड़ गया राह पे लाया था जिसे उसने पोंछे ही नहीं अश्क मेरी आँखों से मैंने ख…