किसान कविता
किसान पर हिंदी कविता
एक कर्मनिष्ठ किसान के जन-जीवन पर आधारित मेरी ये कविता। (1) वह खड़ा मग में निरन्तर कंठ में उत्साह के स्वर, हाथ…
एक कर्मनिष्ठ किसान के जन-जीवन पर आधारित मेरी ये कविता। (1) वह खड़ा मग में निरन्तर कंठ में उत्साह के स्वर, हाथ…
देख कलेजा फट जाता है, आँखों से आंसू बहते ऐसा न हो कलम रो पड़े सच्चाई कहते कहते कवि सुदीप भोला की किसानो को समर्पित एक मार्मि…