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Kavi Dinkar ki Kavita || Ramdhari Singh Dinkar Motivational Poems || Name
दिनकर जी कविता नरता कहते है जिसे,सत्तव क्या वह केवल लड़ने में है? पौरुष क्या केवल उठा खड्ग मारने और मरने में है? तब उस गुण को…
दिनकर जी कविता नरता कहते है जिसे,सत्तव क्या वह केवल लड़ने में है? पौरुष क्या केवल उठा खड्ग मारने और मरने में है? तब उस गुण को…
होली पर हास्य कविता एक तो चढ़ी भंग दूजे होली हुड़दंग सुनी आ रा रा पर कदम ठहराई पड़े बुढहू बहु बढ़ी चटकोर रंग डारै धाइजोर लखि रंग मे…
मेरी कदर तुझे उस दिन समझ आएगी, जिस दिन तेरे जैसी तुझे मिल जाएगी! जो होगी फ्री पूरा-पूरा दिन, पर फिर भी तुझे बिजी होने क…