कुमार विश्वास की देशभक्ति कविता | गणतंत्र दिवस पर वीर रस की कविता

कुमार विश्वास जी का आधुनिक कवियों में स्थान सर्वोच्च है। उन्होंने राजनेता के रूप में भी जनता पर अद्वितीय छाप छोड़ी। 

हालांकि वे राजनैति में अधिक समय तक नही रहे । पर जब तक वे राजनीति में सक्रिय रहे उन्होंने अपने मूल्यों से समझौता नही होने दिया। उनकी प्रेम की कविताएं विश्व भर में पसंद की जाती हैं । लेकिन कुमार विश्वास जी की लेखनी देशभक्ति के विषय पर भी अपनी अमिट छाप छोड़ने में कामयाब रही है।



                                             है नमन उनको कुमार विश्वास lyrics


 है नमन उनको जो इस देह को अमरत्व देकर
 इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं .
है नमन उनको की जिनके सामने है बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं

पिता जिसके रक्त ने उज्जवल किया कुलवंश माथा
माँ वही जो दूध से इस देश की राज तौल आई
बहन जिसने सवनो में भर लिया पतझड़ स्वयं ही
हाथ न उलझें कलाई से वो राखी खोल लायी
बेटियां जो लोरियों में भी प्रभाती सुन रहीं थी
पिता तुम पर गर्व है चुप चाप जाकर बोल आय
पिया जिसकी चूड़ियों में सितारे से टूट ते  थे
मांग का सिन्दूर देकर जो उजाले मोल लायी

 है नमन उस देहरी को जहाँ तुम खेले कन्हैया
घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये हैं
है नमन उनको जो इस देह को अमरत्व देकर
 इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं .

हमने लौटाए सिकंदर सर झुकाए मात खाय
हमसे भिड़ते हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है
नरक में तुम पूछना अपने बुजुर्गो से खाभी भी
उनके माथे पर हमारी ही ठोंकरों का बयाँ है
सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे
शीश देने की कला में क्या अलग है क्या नया है
जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है
है नमन उनको की जिनकी अग्नि से हरा प्रभंजक
काल कौतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये हैं

लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे
विजय के उद्घोष गीता के कथन तुमको नमन है
राखियों की प्रतीक्षा सिन्दूर दानो की व्यथाओं
देश हित में प्रतिबद्ध योवन समन तुमको नमन है
बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे
पिता के वृत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है


एक टिप्पणी भेजें (0)
और नया पुराने