सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है 2
राजी हैं हम उसी में जिसमें तेरी रजा है
सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है
हम क्या बताएं तुमको सबकुछ तुहे खबर है
हर हाल में हमारी तेरी तरफ नजर है
किस्मत है यह हमारी जो तेरा फैसला है
सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है
हाथो को हम दुआ की खातिर मिलाये कैसे
सजदे में तेरे आगे सर को झुकाएं कैसे
प्रभु मजबूरियां हमारी सब तू ही जानता है
सारे जहाँ के मालिक ......
रो कर कटे या हसकर कटती है जिंदगानी
तू गम दे या ख़ुशी दे सब तेरी महरबानी
प्रभु, तेरी ख़ुशी समझकर सब गम भुला दिया है
सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है 2
राजी हैं हम उसी में जिसमें तेरी रजा है
सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है
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मेरे मालिक के दर बार में सब लोगो का खाता
जैसा जिसने कर्म किया है वैसा ही फल पाता
मेरे मालिक के दर बार में सब लोगो का खाता2
क्या साधू क्या संत गृहस्थी क्या राजा क्या रानी
प्रभु की बही में लिखी हुई है सबकी करुण कहानी
बड़े बड़े वो जमा खर्च का सही हिसाब लगाता
मेरे मालिक के दर बार में सब लोगो का खाता
नही चले उनके घर रिश्वत नही चले चालाकी
उनकी अपनी लेन देन की रीत बड़ी हैं बांकी
पुन्य की नैया पार करे वो पापी स्वयं डूब जाता
मेरे मालिक के दरबार में सब लोगों का खाता
बड़े बड़े क़ानून हैं उनके बड़ी बड़ी मर्यादा
किसी को कौड़ी कम नही देता किसी को दमड़ी ज्यादा
इसीलिए वो सारे जग का जगत सेठ कहलाता
मेरे मालिक के दरबार में सब लोगों का खाता'
करता वही हिसाब सभी का इक आसान पर डटके
उनका फैसला कभी न बदले लाख कोई सर पटके
समझदार तो चुप रहता है मूर्ख शोर मचाता
मेरे मालिक के दरबार में सब लोगों का खाता
उजली करनी करले बन्दे कर्म न करियो काला
लाख आन्ख से देख रहा है तुझे देखने वाला
उनकी तेज नजर से बन्दे कोई नही बच पाता
मेरे मालिक के दरबार में सब लोगों का खाता