Sudeep bhola latest hindi kavita


Sudeep bhola latest hindi kavita lyrics


 रहेबरों देखो हमारे देश में कश्तियां बचपन की है मझधार में 

उम्र है जिसकी खिलौने खेलने की वो खिलौने बेचता बाजार में 

रहबरों देखो हमारे देश में



 रोटीयों  का बोझ उसपर आ गया जब समय था खिलने का मुरझा गया आजकल मुखिया है वो परिवार में

 कश्तियां बचपन की है मझधार में


बचपन गुजरे जमाना हो गया कारखाने में सायना हो गया 

छुट्टी भी मिलती नहीं इतवार में 

कश्तियां बचपन की है मझधार में रहेबरो देखो हमारे देश में 



रेल के डिब्बे की सारी गंदगी साफ करने को समझना बंदगी

 झिड़कियां मिलती उसे उपहार में 

कश्तियां बचपन की है माजधार में


देश की संसद जरा तू शर्म कर और अमीरी देखना यह सोचकर 

कुत्ते बिल्ली घूमते हैं कार में 

कश्तियां बचपन की है मझधार में 


एक विज्ञापन करोड़ों में छापा बाल श्रम कानून था जिसमें लिखा सो रहा लिपटा उसी  अखबार में कश्तियां बचपन की है मझधार में 


उसके बचपन को बचा लो दोस्तों है बहुत नाजुक समभालों दोस्तों खो न जाएं लोरिया दुत्कार में 

कश्तियां बचपन की है मझधार में 




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                  : हास्य कविता :

 इंस्टाग्राम वाली लड़की - सुदीप भोला


पापा ने हैप्पी बर्थडे पर मोबाइल मंगवाया था ऑनलाइन हो गई पढ़ाई किस्तों पर मंगवाया था पढ़ो बेटियों बढ़ो बेटियां उनने वो उठाना था दुनिया कर लेगी मुट्ठी में वो उनने ठाना था उसी मोबाइल से वो लड़की इंस्टाग्राम चलाती है पढ़ती नहीं पडाती है दिन भर रील बनाती है उसी मोबाइल से वह लड़की दिन भर इंस्टाग्राम चलाती है 

पढ़ती नहीं पढाती  है दिनभर रील बनाती है


पापा ने हैप्पी बर्थडे पर मोबाइल मंगवाया था ऑनलाइन हो गई पढ़ाई किस्तों पर मंगवाया था वो पापा की परी इतनी ज्यादा सोशल है बेपर्दा घर को पर डाला ऐसी कोई होटल है शहजादी पाकर आजादी आसमान मैं झूल गई इतनी ज्यादा बोल्ड हो गई संस्कार सब भूल गई हाथों से वह दिल बनाती टैटू कभी दिखती है इसी आइटम गर्ल ठुमके खूब लगती है पढ़ती नहीं पड़ता है दिनभर रील बनती है


बर्थडे पर मोबाइल मंगवाया था ऑनलाइन हो गई पढ़ाई किस्तों पर मंगवाया था बाकी सब खुल्लम-खुल्ला पर मोबाइल पर लॉक लगा मोबाइल छू ले तो उस लड़की को शौक लगे मम्मी पापा जिससे हफ्तों बात ना कर पाते हैं रोज हजारों मैसेज उसको गुड मॉर्निंग के आते हैं गुड मॉर्निंग का उत्तर देते गुड नाइट हो जाती है पढ़ती नहीं पडाती है दिनभर रील बनाती है


पापा ने हैप्पी बर्थडे पर मोबाइल मंगवाया था उसके कुछ फॉलोअर मैं खानों से रिंद हुए न जाने  कितने बुढो के ठीक  मोतियाबिंद हुए एक फॉलोअर ऐसा था जो सबसे पहले आता था तारीफो  के पुल बांदा करता था कभी नहीं लजाता था उसकी तारीफों से लड़की फूली नहीं समाती है पढ़ती नहीं पडाती है दिन भर रील बनाती है


पापा ने हैप्पी बर्थडे पर मोबाइल मंगवाया था आखिर एक मिस कॉल में चिड़िया फस गई जाल में उसे मिल गया शहजादा प्यार बड़ा इतना ज्यादा लाग गई घर की दहलीज सोचा किस्मत जाग गई आखिर ऑनलाइन प्रेमी के संग भाग गई घर वाले ढूंढ रहे हैं कहीं नजर नहीं आती है दुनिया वाले सोच रहे हैं  लड़की रील बनती है


पापा ने हैप्पी बर्थडे पर मोबाइल मंगवाया था की मां की ममता छोड़ गई दिल पापा का तोड़ गई जिसके खातिर सारे रिश्ते तोड़ गई नशा प्यार का सब कुछ गड़बड़  झाला निकला थोड़ी सी नादानी में मां की ममता छोड़ गई दिल पापा का तोड़ गई जिसके खातिर लड़की अपने सारे रिश्ते तोड़ गई नशा प्यार का उतना तो सब कुछ झाला निकला आखिर कोई शहजादा वो पिक्चर वाला निकला अब उसकोअपने पापा की याद बहुत तड़पती है दुनिया वाले सोच रहे हैं लड़की रील बनाती है


पापा ने हैप्पी बर्थडे पर मोबाइल मंगवाया था पढ़ाई ऑनलाइन हो गई पढ़ाई किस्तों पर मंगवाया था थोड़ी सी नादानी में आ गया ट्वीट कहानी में जो पापा का सपना थी  पहले जैसी अब ना थी यही शहर के पास मिली पड़ी नहर के पास मिली वह पापा की परी मिली सूटकेस में भारी मिली फिर वो लड़की अपने टैटू से पहचानी जाती हैं दुनिया वाले सोच रहे हैं लड़की रील बनती है क्या सोचा था क्या पाया है क्यों मोबाइल दिलवाया अब पापा पछताते हैं रोते है चिल्लाते हैं लेकिन मोबाइल की अबभी किस्त चुकाते हैं


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