priyanka's entry in politics



प्रियंका की सक्रिय राजनीति में पदार्पण तो बहुत पहले हो गया था इस्स साल तो उनकी राजनीति पर पार्टी ने मुहर लगाई है और उन्हे पूर्वी उत्तरप्रदेश की कमान सौंपी गयी है। यह देखना दिलचस्प होगा की वे पार्टी की वर्तमान विचारधारा की जारी रखते हुए अपनी तरफ से क्या नए प्रयोग करेंगी जिससे बे पार्टी की स्थिति को उत्तरप्रदेश में मजबूत कर सकें। आने वाले डीनो में लोकसभा चुनाव उनके लिए पहली चुनौती होगा। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तरप्रदेश की  लगभग 90 फीसदी सीटें जीतकर न सिर्फ अपनी मजबूत स्थिति का एहसास कराया वरन देश के प्रधान मंत्री का पद प्राप्त किया। अब तक इस देश के इतिहास में सर्वाधिक प्रधानमंत्री उत्तरप्रदेश से ही चुनाव लड़कर बने हैं। इस लिहाज से उत्तरप्रदेश प्रधानमंत्री पद पाने के लिए जीतना जरूरी समझा जाता हैं। वैसे भी जिस पार्टी से प्रियंका जी आती हैं अब तक उसी पार्टी के प्रधानमंत्री अधिकतर रहे हैं। प्रियंका जी के पिता दादी और नाना तीनों ने देश पर कई बरसों तक राज किया। और तीनों ही उत्तरप्रदेश से जीतकर आय। आज उत्तरप्रदेश में ही काँग्रेस पिछड़ गयी है।  



दीदी दादी बन जाती है चुनाव ज्यों ही आते हैं
कभी बहन बनकर तो कभी दादी बनकर rahul को बचाती हैं.

मगर नादान इतने ज्यादा है हमारे rahul bhaiya भी
प्रियंका हर चुनाव में गुल्लक(संवेदनाओ की) भर के जाती हैं
पुनः आकर खाली ही पाती हैं.

राहुल तर्क भी दें तो ऐसा लगता है
दुधमुहा कोई बच्चा ज्यों अपनी माँ से झगड़ता है
इस बच्चे की बचपने को फिर प्रियंका छुपाती हैं

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