गरीबी को मिटा देने की सिर्फ बाते है,
जो खुद दौलत के भूखे हो, वो गरीबी क्या मिटायेंगे
गरीबो का लहू तो आपकी करो का डीजल है,
गरीबी मिट गयी तो आप क्या रिक्शा चलाएंगे.
कवि पंडित अशोक ने मंच पर अपने
हास्य कवि युवा से लेकर बुजुर्गो को तक लोट पोट कर दिया चलिए आप भी कुछ कविता का
आन्नद पड़ कर लीजिये.......
कुछ पांव है जो चलते चलते रुक नही
सकते,
कुछ कर्जे हैं जो जिन्दगी भर चुक
नहीं सकते,
कुछ ऐसे भी पेंड होते है दुनिया के
बगीचे में,
जो टूट तो सकते है लेकिन झुक नही
सकते!
नाजिल जो असमान से रहमत नहीं करता,
वो अपना करम अपनी इनायत नहीं करता,
जो करते हैं जमी पर फ़साद और लुटमार,
वो अल्लाह भी ऐसो से मुहब्बत नहीं
करता!
बांह में है और कोई, चाह में हैं और
कोई,
और राह वाली को भी मुस्कान देके आ
गये,
एक से लड़ाए नैन, दूसरी का लिया चैन
तीसरी को शादी की जबान देके आ गए,
आज के ये मजनू खुद नहीं जानते कि
कहा-कहा प्रेम के निशान देके आ गए
जिन लिफाफों में प्रेम पत्र भेजा
करते थे,
उन्हीं लिफाफों में अब कन्यादान के
आ गए!
गुरु का चमतकार नहीँ हैं तो और क्या
है,
प्रेम पुजारी दास को तुलसी दास करके
दिया!
बर्तन माजने वाले को अर्जन देऊ,
वो महामूर्ख था तो कालीदास करके
दिया!