भारत तक के मंच पर इस बार चौकीदार का प्रोग्राम आयोजित किया गया जहां
पर कई कवियों ने अपने हास्य व्यंग से लोगो को लोट-पोट कर दिया, तो चलिए आप भी
पढ़े...
वेद प्रकाश जी – इन्होने अपनी हास्य काव्य से लोगो को लोट पोट कर दिया
आप भी पढ़ कर आन्नद ले ...
तु भी चौकीदार मैं भी चौकीदार,
दो करोड़ की पूछने वालो को मिल गया जवाब
पाचवे साल में दे दिए एक साथ बीस करोड़ रोजगार!
जिसे भक्तगण बता रहे थे कल्कि का अवतार,
वो भी निकला अंत में चौकीदार!
जब तू भी चौकीदार मैं भी चौकीदार,
तो सांसद कैसे कर गया विधायक के ऊपर जुताबजार!
कितना भी हो जाये चौकीदार चौकन्ना,
पर बदल नही सकता किस्मत का लिखा पन्ना
मजे ले जाते हैं केजरीवाल, और धरने पर पैठे रह जाते है अन्ना!
संभु शिखर जी-( नीर गोरखपुरी कवि). गोरखपुर से होने की वजह से इन्हें
थोड़ी योगी जी से नाराजगी रहती हैं लेकिन इन्होने अपनी हास्य काव्य से लोगो को लोट
पोट कर दिया आप भी पढ़ कर आन्नद ले ...
बगैर आँखों के किसे ताड़ने जाये,
नदी है नही कहा तैरने जाये,
रोटियां छीन के बना रहे है शौचालय,
बताओ उसमे हम झक्क मरने जाये!
मित्रो अच्छे दिनों का घर-घर में कलेंडर पंहुचा दिया,
हमारी सरकार ने घर-घर में सिलेंडर पंहुचा दिया!
हमने रक्षा, विदेश, परिवहन सब पर काम किया है,
मित्रो बाहर जा के देखो, विदेशों में कितना नाम किया हैं!
कवि चिराग जैन जी..... इन्होने अपनी हास्य काव्य से लोगो को लोट पोट
कर दिया आप भी पढ़ कर आन्नद ले ...
चौकीदारों की सेना बना ली,
विरोधी हुए ठाली, चुनावी रंग चढ़ने लगा
तुमको जो दी विरोधियों ने गाली,
चुनावो में भी भुनाली, तुम्हार दाव पड़ने लगा !
राहुल ने जुमला फेका था, उसे लपक के खेल गये,
वार बहुत तगड़ा था, लेकिन आसानी से झेल गए!
जिसका भेजा उसी की दोनाली, सलीके से चला ली,
शब्दों को यु पकड़ने लगा, चौकीदारों ने सेना बना ली!
पहले बोले ये काले नोटों की चौकीदारी हैं,
फिर बोले यह भीतर के सब खोटेदरों की चौकीदारी है
बड़े- बड़े सब भाग गये, छोटो की चौकीदारी हैं,
लगता है ये केवल सब वोटो की चौकीदारी है