विचार

किन्ही दो  व्यक्तियों आपस में कीगई बातचीत में शब्दों का जो गैप होता है।
इस गैप को हम अपने शव्दों से भरते हैं कर्म से भरते हैं या वक़्त के भरोसे छोड़ देते हैं यह हमारे रिश्ते की गहराइयाँ तय। करता है।
वेशक शब्द पूर्ण नही होते पर यदि वे प्रमाणिक हो तो उनका असर कर्म से भी बढ़कर होता है।ठीक यही बात कर्म पर भी लागू होती हैं कर्म भी यदि समाज में स्वीकार्य होगा तभी असरकारक होगा। वक़्त सर्वोत्तम है अधिकतर उच्च कोटि के परिणाम वक़्त के गर्भ से ही आते हैं ।उससे परे न शब्द है ना कर्म।
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