Naari ka sammaan kro

स्त्री भगवान की बनाई हुई एक सुंदर कृति या सुंदर रचना जो चाहे कह लो। मन से चंचल स्वभाव लिए स्त्री या नारी   बचपन के दिनों से ही घर में खुशि  का माहौल रहता है। कहते है जिन घरों में बच्चियां नही होती उस घर में खुशियां ज्यादा लंबे समय तक नही टिक पाती है। बेटियां खुशी का पर्याय मानी गयी हैं। यही बेटियां जब व्याह होने के बाद पति के घर जाती हैं तो वहां भी laxmi का रूप मानी जाती हैं। पर जब यह लष्मी स्वरूप स्त्री का मन बिगड़ता है तब न जाने वह कौन से रूप में आकर घर को
बुनयादी रूप से हिला देती है माना की घर उसी के हाथ में हैं पर भविष्य के बारे में एक पल सोचें बिना वह बिना सोचे समझे वर्तमान में मग्न इसी पल में दुनिया को सारी खुशियां पा लेने के चक्कर में। कभी कभी बिना सोचे समझे ऐसे फैसले ले लेती है जिससे परिवार के परिवार नष्ट हो जाते हैं। फिर चाहे वह शारीरिक सुख पाने की कामना से लिया गया फैसला हो या धन के लालच में अथवा शहर की जिंदगी जीने के लिए तुरंत में शहर जा बसने का फैसला हो। मजबूर आदमी को घर की खुसी के नाम पर शांत रहने पड़ता है। चलती तो औरत की है दुनिया भी उसी के साथ खड़ी दिखाई देती है ।
    औरत को जरा भी कुछ तकलीफ आ जाय न्यूज़ वाले प्रिंट मीडिया वाले मर्दों के खिलाफ मोर्चा  खोल दिये हैं मानो सारे अत्याचार की जड़ मर्द ही हों और सभी अत्याचार सहने वाली नारी ही हो। आज जमाना बदल गया है नारी अवला नही अब कही कही तो दबंग के रूप में भी दिखाई देती है और मर्दों को प्रताड़ित भी करती है।
ऐसे मर्द किसी से कहें भी तो क्या कहने को तो वे मर्द हैं पर घर में उनके "मर्दानी" बैठी है जो उनसे भी जबरजस्त है। जरा जरा सी बात पर अपने मर्द पर हावी होने उसका
शगल है।
लेकिन कुछ औरतें समाज में ऐसी भी हैं जो आदर्श नारी का नकाब ओढ़े हुए हैं। समाज के सामने वे ऐन केन प्रकारेण खुद को आदर्श नारी दर्शाने में सफल रहती हैं ।
परंतु मन ही मन कुढ़ती रहती हैं और मौका मिलते ही आदर्श नारी का मुखौटा उतार फेकती हैं । फिर वे खुलकर तांडव करती हैं। लेकिन इस तरह की चतुर महिलाएं तांडव भी कुछ चुनिंदा लोगो के सामने करती हैं जिससे समाज में उनकी आदर्श नारी की छवि खराब न हो । इनके तांडव का शिकार अधिकतर इनके पास पड़ोसी घर वाले और निकट संबंधी होते हैं।
     चुगलखोर महिलाओं की भी अपनी एक अलग की कैटेगरी है। यह लोगों की चुगली न करें तो इनका कहना नही पचता । तेरे घर उसकी बात उसके घर तेरी बात। इन महिलाओं को सभी के घर की जरा जरा सी बात पता रेजती है। साथ ही यह भी पता रहता हैं किसके घरकिस तरह की बात किस मौके पर कौन सी बातकिस तरह से कहना है।
अंत में इतना ही कहना चाहूंगा यह दुनिया है यहां तरह तरह के लोग तरह तरह की लुगाइयाँ हैं। अपनी लुगाई को के साथ कुश रहो उसको खुश रखके जीवनमें खुशहाली अपने आप आ जायेगी । दुनिया में तेरे मेरे घर झांकने वाले लोग अपने घर की राबड़ी का स्वाद भी सड़े आम को तरह पाए हैं। इसीलिए किसी सयाने आदमी ने सच ही कहा है कि राम तेरे अन्दर है । तू खुश तो रब खुश। दुनिया में खुशियां अपने अंदर ढूंढो बाहर ढूंढोगे तो ढूंढते रह जाओगे तब तक जीवन की यात्रा पूरी हो जाएगी।

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