जो भरा नही हो भावो से बहती जिसमे रसधार नही
वह हृदय नही नर पशु निरा है जिसमें स्वदेश का प्यार नही।
चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी
बुंदेलों हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।
इंसान की खुशबू रहती है , इंसान बदलते रहते हैं ।
दरबार लगा रहता है यहाँ , दरवान बदलते रहते हैं ।।
ओ भोले मानव! पागल तू, क्यूँ मारता है वरदानो पर।
बलिदान ही जिंदा रहते हैं , वरदान बदलते रहते हैं।।
यह निम्नांकित पंक्तियाँ हैं मोदी जी के लिए
जो पकके हैं इरादों के इरादों पर मर मिट जाते हैं।
जो बातों के बातूनी हैं ऐलान बदलते रहते हैं।।
इत्र लगाकर गर जो महके तो क्या महके
करो कुछ ऐसा की तुम्हारा किरदार महके।।
देश से है प्यार तो हरपल यह कहना चाहिये।
मैं रहूँ या न रहूँ यह देश रहना चाहिए।।
जिनके लहू के बलिदान से हमने ये आजादी पाई है,
जिनके त्याग से बंजर जमी पर हरियाली आई है।।
मैं शत -शत बार नमन करता हूँ उनको,,
जिनके कारण मेरे संविधान ने सूरत पाई है।।
लाखों ने सिर वार दिए कइयों ने सीने पर गोली खाई है
तब जाकर कहीं हमने यह आजादी पाई है।
बलिदान अमर हैं उनके जो मिट गए देश के खातिर
पीड़ा समझ देश की चढ़ गए जो फाँसी के तख्तों पर
परिवार भी वे धन्य हैं जिन्होंने भी यह कीमत चुकाई है।
लाखों ने सिर वार दिए कइयों ने सीने पर गोली खाई है
तब जाकर कहीं हमने यह आजादी पाई है।
71वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
गणतंत्र दिवस के लिए गीत - कविता तिवारी
Republic Day Speech in Hindi