खेती किसानी में आइये आज बात करते हैं मटका खाद कि आज हम आपको मटका खाद बनाना सिखाएंगे। मटका खादे कैसे खाता है जो देसी गोबर गाय के मूत्र से केवल 5 दिन के अंदर अंदर तैयार हो जाता है। इसका प्रयोग करने से फसल पर फसल कोई जरूरत के काफी सारे तत्व से मिल जाते हैं। सारे माइक्रोन्यूट्रिएंट और सारे ही।
पोषक तत्व जो फसल की वृद्धि के लिए जरूरी होते हैं, वे इस मटका खाद से फसल को प्राप्त हो जाते हैं। मटका खाद बनाने के लिए यदि आपके पास मिट्टी का मटका है तो वह सर्वोत्तम है, लेकिन यदि मिट्टी का मटका नहीं है तो आप कोई स्टील का बर्तन नहीं सकती हैं या फिर आप प्लास्टिक का बर्तन नहीं सकते हैं। याद रखने की कोई धातु का बर्तन ना लेता तो का बर्तन यदि आप लेते हैं तो धातु का बर्तन उसमें मौजूद जीवाणुओं को। प्रभावित करता है। आइए देखते हैं। इसके लिए मटका खाद बनाने के लिए क्या-क्या चीजों की हमें रिक्वायरमेंट पड़ेगी। मटका खाद बनाने के लिए सबसे पहले एक कंटेनर जो कि करीब 100 लीटर की क्षमता हो उतना ड्रम वगैरह या कोई प्लास्टिक का कंटेनर ले लीजिए। इसके बाद इसमें आप पर 20 किलो गोबर और 20 किलो मूत्र जिस पशुओं का गोबर हो उसी पशु का मूत्र मिला दी। इतना डालने के बाद में आप इसमें? 5 किलो सरसों की खली मिला दीजिए। 5 किलो सरसों की खली मिलाने के बाद में इसमें आप!
2 किलो गुड़ जो बेकार हो वह उसमें मिला दीजिए। 2 किलो गुड़ मिलाने के साथ में एक और चीज इसमें ऐड करने की जरूरत पड़ती है। वह है उड़द की दाल का बेसन उड़द की दाल छिलके सहित आप बेकार वाली खरीद लाई है। उसको पीस लीजिए। मिक्सिंग ग्रैंड कर लीजिए। उसको उसके बाद में आपस में मिला दीजिए। अब इस कंटेनर को मैं इतना पानी ऐड करना है कि यह?
पतली हो जाए माल काफी इस तरीके से हो जाएगी जैसे हम कड़ी बनाते हैं। कड़ी भट्टे की कड़ी बनाते हैं। तरीके से यह गोल हो जाए। इतना पतला घोल होने के बाद इसको अच्छे से डंडे से चला दीजिए। डंडे से चलाने के बाद में इस कंटेनर को आप कहीं छांव में रख दी थी। अब इस कंटेनर को बीच-बीच में इसका चलाते नहीं है। इसको घोल को और 7 दिन के अंदर ही अंदर इस खास हुआ पानी के साथ मिला था। दोस्त लीटर पानी के साथ मिलाकर खेत में डाल दीजिए। यह खेत में मौजूद फसल के सारे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स सकता हूं को पूर्ति करता है। यह खाद फसल में हरापन लाता है। उसमें जिंक सल्फर, मैग्नीशियम इत्यादि जो माइक्रोन्यूट्रिएंट्स। रहते हैं उनकी पूर्ति करता है यह बताया है। आकाश चौरसिया जी ने जो कि सागर मध्य प्रदेश से।
है और प्रधानमंत्री द्वारा एक उन्नत किसान का अवार्ड भी पा चुके हैं। वह प्रति बीघा में इसी विधि से करीब पांच से छह लाख की इनकम प्रतिवर्ष करते हैं। उनका मानना है कि किसान को इस तरह से खेती करनी चाहिए कि उसकी जेब से खर्च ना के बराबर हो और उसकी जेब में फसल की बिक्री करके उसके जेब में पैसा आए ना कि ऐसी खेती करनी चाहिए। इसमें फसल और उसकी लागत बराबर मूल्य की हो तो यदि किसान प्राकृतिक खेती करेगा। तभी इस तरह की खेती कर पाएगा कि वह फसल बेचकर अपने लिए कुछ सेविंग कर पाए।
आर्गेनिक फार्मिग मैं आसपास के किसानों में सबसे ज्यादा मुनाफे वाली खेती करने वाले युवा और अनुभवी जैविक खेती वाले किसान आकाश चौरसिया जी ही हैं ।
उनके जैसा सरल व्यक्तित्व किसी का नही है। आपने चाहे उनसे जैविक खेती का कोई कोर्स खरीदा हो या नही परन्तु वह आपसे उतनी ही सहजता के साथ बात करेंगे आपपकि समस्या सुनेंगे उसका समाधान करेंगे जितनी सहजता से वे अपने विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर देते हैं ।
आकाश चौरसिया जी का सरल व्यक्तित्व मुझे राजीव जी की याद दिलाता है। लगता है उन्ही के अधूरे कामों को पूरा करने के लिए आकाश चौरसिया जी भारत में जन्म लिए हैं। और अब स्वाभिमानी भारत का सपना पूर्ण करके ही रहेंगे।
आकाश चौरसिया जी की पढ़ाई विज्ञान वर्ग से हुई है । लेकिन इसके बाबजूद भी उन्हें आर्गेनिक फार्मिंग की इतनी गहरी समझ है कि वे जैविक खेती के प्रचार प्रसार के लिए न सिर्फ देश के बड़े मंचों से अपनी बात रख चुके है वरन विदेशो में आयोजित कई सम्मेलनों में शामिल होकर वहां अपनी बात रख चुके हैं।
आप भी यदि आर्गेनिक फल सब्जियां उगाने की इच्छा रखते हैं तो एक बार जरूर आकाश जी के आर्गेनिक फार्मिंग से संबंधित वीडियो देखें।