आर्गेनिक फार्मिंग इन हिंदी | गेंहू की आर्गेनिक खेती | गेंहू में पीलापन की खाद

 

गेंहू की आर्गेनिक खेती

इस समय में पीले गेहूं होना बहुत बड़ी समस्या होती है। किसान के सामने और अधिकतर किसान इस समस्या से जूझते रहते हैं कि वह खेत में पीले पढ़ाई हूं। में क्या डालें ताकि वह खेत से लहरा उठे और? उनको फसल का सही उत्पादन में ले आइए। पहले जानते हैं कि गेहूं पीले होने के क्या कारण होते हैं? नंबर 1 यदि आप के खेत में गहरी सिंचाई हो गई या नहीं पानी ज्यादा टाइम तक ठहर गया। तभी क्यों पीले पड़ जाते हैं। दूसरा यदि आप के खेत में पोषक तत्वों की कमी है तब आपके गेहूं पीले पड़ जाते हैं और तीसरा यदि आप के खेत में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स।

ड्रिंक वगैरह है कि कमिंग तभी जो हूं पीले पड़ जाते हैं, आपको करना है क्या है कि यदि पीले पड़ रहे हैं। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी है तो सबसे पहले यदि आप प्राकृतिक खेती करते हैं। जैविक खेती करते हैं तब आपको मटका खाद बना लेनी चाहिए और 7 दिन के अंदर बनी हुई मटका खाद का प्रयोग अपने खेत में सिंचाई के साथ करना चाहिए।

20 लीटर गोबर 20 लीटर गेहूं, गोमूत्र और।

अन्य ऐसे ही घर में उपलब्ध।

छोटे-छोटे सामानों को मिलाकर आप मटका खाद तैयार कर सकती हैं और यह केवल 5 दिन का समय लेती है। इस बारे में एक अलग पोस्ट में आप जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि मटका खाद कैसे बनाएं। मैं उसका लिंग किस पोस्ट में अटैच कर दूंगा। मटका खाद बनाने के बाद में आप मटका खाद को खेत में सिंचाई के साथ दे दीजिए। आपका खेत 607 दिन में फिर से हरा भरा हो जाएगा और उसमें सारे पोषक तत्वों की कमी पूर्ति हो जाएगी। यदि आप रासायनिक खेती करते हैं यानी कि यहां पर रसायनिक खादों का प्रयोग करके खेती कर रहे हैं तो आप प्रति एकड़ के हिसाब से 28 से 5 ढाई किलो यूरिया और एनपीके 1919 का उपयोग करें। इनका स्प्रे कर दीजिए आप प्रति एकड़ में प्रति एकड़ स्प्रे करने के बाद में यदि आप चाहें तो इसमें मोनो जिंक। को भी ऐड कर सकते हैं और इस तरीके के स्प्रे करने के बाद हम देखेंगे कि आपका खेत 3 से 4 दिन के अंदर फिर से लहरा उठा है। पीला गेहूं यदि आप केवल सिंचाई की वजह से गेहूं पीला पड़ा है तो उसमें बहुत ज्यादा चिंतित होने की बात नहीं है। वह पीलापन अपने आप से समाप्त हो जाता है। लेकिन हां यदि या प्राकृतिक खेती करते हैं तो आपको पीलेपन का इलाज के लिए अपने यहां खाद तुरंत तैयार कर लेनी चाहिए क्योंकि यदि! जरा भी लेट हुआ आगे पीछे हुआ तो फसल पर असर पड़ सकता है इसका बहुत बुरा!

प्राकृतिक खेती में जो हम खाते यार करते हैं, वह धीमे-धीमे परंतु अच्छा काम करती हैं। आप इसी तरीके से समझ लीजिए। प्राकृतिक खाद वही काम करती है। जैसे आयुर्वेद की दवा इंसानों पर काम करती है। यदि आप एलोपैथ की दवा लेते हैं तो आपको तुरंत रिलीफ देती है। भले ही वह लंबे समय बीमारी को दूर करें या ना करें, लेकिन आयुर्वेद की दवा दे हिंदी में असर करती है और बीमारी को जड़ से खत्म कर देती है तो यदि आप आकृति खेती कर रहे हैं।

तो आप को खाद तैयार रखनी चाहिए और जब बाली आने का समय होगी उन पर तो आपस में खट्टी लस्सी का प्रयोग कर सकती हैं। खट्टी लस्सी का प्रयोग से वाली अच्छी पड़ती है और बाली पर कोई जीवाणु कीटाणु अटैक नहीं करता है और गेहूं का उत्पादन अच्छा हो जाता है।

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