हास्य व्यंग्य कविता हिंदी में

 


कोई भी लड़की मुझसे
नजर उठा कर बात नहीं कर पाती है।
मैं छोटा पड़ जाता हूं,
वह लंबी निकल जाती है।

हाय रे मेरी किस्मत
मुझे कितना सताती है
कोई अपनी हाइट की मिले
तो उम्र बड़ी बताती है।

इस समस्या से परेशान होकर  मैने भी एक आईडिया अपनाया और अपने लिए ऊंची हील का जूता सिलवाया
जूता पहनकर अभिताभ जैसे इतराया
इतने में डोर वेल बजी
जूता पहनकर जैसे ही मैंने गेट खोला।

सामने सुंदर कन्या दिखी।

वह बोली।

देखते हैं इसको मेरा मन डोला और मैंने मन ही मन का आज आम के आम गुठलियों के दाम वाला मुहावरा सेट कर लेते हैं। इतने में वह गोली। की मम्मी को बुलाओ कुछ बात करनी है। मैंने कहा, मम्मी को क्या बुलाना पहले मुझे बताओ क्या बताना है तो वह बोली मम्मी को बताना है कि आप जैसे छोटे बच्चे को पोलियो की ड्राप पिलाना है।

मैंने उसे कहा कि आपने यह दवा किसी भ्रष्ट नेता को नहीं पिलाई।

इसके भ्रष्टाचार के पोलियो! ने देश को ही पोलियो ग्रस्त कर डाला।

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