कविता तिवारी की देशभक्ति कविता || हे ईश्वर मालिक हे दाता कविता लिरिक्स


कविता तिवारी उत्तर प्रदेश के शहर लखनऊ जो की उत्तर प्रदेश  की राजधानी भी है से आती हैं . कविता तिवारी अपनी  देश भक्ति की कविताओ के लिए जानी जाती हैं. उनकी निमांकित कविता भी उनके देशप्रेम को दर्शाती हैं . जिसका कवितापाठ उन्होंने लखनऊ में सैनिकों के मध्य आयोजित एक कार्यक्रम में किया था.इस कार्यक्रम में कविता जी ने जिस देशभक्ति कविता  का पाठ किया जो की निमांकित है

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Deshbhakti Kavita in Hindi



काया में देशभक्ति का प्रवाह बनेगा

साहस से साजिशों का हर एक दुर्ग ढहेगा

जब तक सरहदों पर खड़े देश के जवान

ए हिन्द तू आजाद है आजाद रहेगा


राष्ट्रभक्ति का दीप जलाना सबको अच्छा लगता है

देश प्रेम का गीत सुहाना सबको अच्छा लगता है

जननी जन्मभूमि पर प्राणों से बढ़कर प्यारी होती है

देशवासियों के खातिर दुर्वित फुलवारी होती है

फिर भी प्रश्न खड़े होते हैं जगह जगह विस्फोटों से

माँ तेरी संतानोको कैसी लाचारी होती है


जब स्वदेश का बच्चा बच्चा बन्दे मातरम गायेगा

कोई आतंकवादी कैसे उग्रवाद अपनाएगा

आपना पूज्य तिरंगा नभ में फहर फहर फहेरायेगा

जो इसकी तौहीन करेगा मिट्टी में मिल जायेगा


आओ करें प्रतिज्ञा हम सब गौरवशाली भाषा में

क्यों जिन्दा हैं सिर्फ तिजोरी भरने की अभिलाषा में

क्यों आपने मन में औरों के खातिर पीर नही होती

एक तारीकी दुनिया में सबकी तकदीर नही होती

अरे मौत के सौदागर ओ नीच अधम हत्यारे सुन

मरने के जो संग चले ऐसी जागीर नही होती


अगर निरीह प्राणियों पर भी दया नही दिखलायेगा

धरती माता के दामन में गहरे दाग लगाएगा

है इतिहास गवाह कसम से रोयेगा पछतायेगा

जो इसकी तौहीन करेगा मिट्टी में मिल जायेगा


सुप्त मानसिकताएं आओ मिलकर उन्हें जगाएं हम

देश प्रेम की अविरत धारा को मिलकर अपनाएं हम

खुरापात हैं जिनके मन में वो नित रार ठानते हैं

कई वार पछ्ताएं होंगे फिर भी नही मानते हैं


चोरी छुपे वार करने के मना रहे जो मंसूबे

दुश्मन देश युवा भारत की ताक़त नही जानते हैं

गिधड को यदि मौत पड़ी है पास शहर के आएगा

देश द्रिहियों को "कविता" देश न हरगिज भायेगा

बोयेगा जो शूल बताओ फूल कहाँ से पायेगा

जो इसकी तौहीन करेगा मिट्टी में मिल जाएगा

Kavita Tiwari Poetry in Hindi

क्षतिज तक शौर्य गूंजेगा स्वयं दिनमान बदलेगा,

उतारो भारती की आरती सम्मान बदलेगा।

विवादों में उलझकर कीर्ति माँ की मत करो धूमिल,

शहीदों की करो पूजा तो हिंदुस्तान बदलेगा।।

Kavita Tiwari Deshbhakti Shayri


पृथक हर धर्म होता है पृथक  परिवेश होता है,

पृथकता में रहे मिलजुल कर यही उद्देश्य होता है।

जहां रहते हो मिलकर हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई,

जो समझे देश को अपना उसी का देश होता है।



कविता तिवारी देशभक्ति कविता

Easy Deshbhakti Poem in Hindi


हे ईश्वर मालिक हे दाता



हे ईश्वर मालिक हे दाता
हे जगत नियंता दीन बंधू
हे परमेश्वर प्रभु हे भगवन
हे प्रतिपालक हे दयासिन्धु
सच्चिदानंद घट घट वासी
हे सुख राशि करुनावतार
हे विध्नहरण मंगलमूरत
हे शक्तिरूप हे गुणागार
सभ्यता यशस्वी हो जाय
मानवता का फैले प्रकाश
सब दिव्यदृष्टि के पोषक हो
कर दो कुदृष्टि का सर्वनाश

इतिहास गढ़े जाएँ प्रतिपल
पृष्ठों में अकलंकता रहे
सज्जनता का अनुशीलन हो
मानव को पक्का पता रहे
हर एक बालिका विदुषी हो
हर बालक निति निधान रहे
फ़हराय तिरंगा अम्बर तक
माँ का धानी परिधान रहे
'कविता' चाहेगी धरती पर
संस्कृतियों का सम्मान रहे
जब तक सूरज चंदा चमके
तब तक यह हिन्दुस्तान रहे


सुपिनिता हो मनो वृत्ति उत्तुंग शिखर स्पर्श करे
गुण श्रेष्ठ प्रस्फुटित हों इतने सम्यक हों क्रांति विमर्श करे
उत्फुल्ल रहे पर हरेक व्यक्ति पर परम सरलता बनी रहे
शब्दों की अपनी गरिमा हो अविराम तरलता बनी रहे
हे त्रिभुवन के पथ उन्नायक आपदा प्रबंधन के स्वामी
हुम विनत भाव करबद्ध खड़े हे सर्वेश्वर अंतर्यामी

हे नाथ सनाथ करो सबको जन जन हो जाय निर्विकार
विप्लवी घोष विध्वंस मिटे खोलो सबके हित मोक्ष द्वार
नित नव किसलय नित चित प्रसून अति स्वर्णिम सुखद विहान रहे
भवरों का जिस पर झूमझूम अन्गुन्जित मधुरिम गान रहे
आरती भारती की उतरे अर्पित तन मन धन प्राण रहे
जब तक सूरज चंदा चमके तबतक यह हिन्दुस्तान रहे

सारंग धनुर्धारी भगवन श्रीराम भुवन भय दूर करो
हे चक्रपाणी क्र कृपा दृष्टि छल द्वेष दंभ को दूर करो
हे त्रयाम्केश्वर महादेव हे नील कंठ अव्थार्धानी
त्रिलोकनाथ रोकोरोको बढ़ रही दिन प्रति मनमानी
सम्मोहन मारण वशीकरण उज्जातन मन्त्र प्रयुक्त दिखे
जिनके कारण भय व्याप्त हुआ भय हीन दिखें भय मुक्त दिखें
अरिहंत तुरंत करो कौतुक रोको अनर्थ की छाया को
मन प्राण सन्न सहमे सकुचे क्या हुआ मनुज की काया को
अनुरक्ति बढे सीमाओं तक लेकिन विरक्ति का ध्यान रहे
भाषित शिक्षा का दान रहे मानव अर्पित हो राष्ट्र हेतु
पूजित युग युग अभिमान रहे
जब तक सूरज चंदा चमके तक तक यह हिन्दुस्तान रहे




नाव सद्काम की सद्वृत्ति से निष्काम खेते हैं
सदा इतिहास के पन्ने यही पैगाम देते हैं
कभी भूले यदि सहे नारी अपमान की पीड़ा
कभी श्रीरामके घोड़ों को लवकुश थाम लेते हैं


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