"वेदांता क्यों बेच रहा स्टरलाइट कॉपर प्लांट ": द स्टरलाइट स्टोरी
चलिये टाइमलाइन और क्रोनोलॉजी से इस कहानी को देखते हैं -
1994 - जब से तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्टरलाइट कॉपर को स्थापित करने की अनुमति दी है, तबसे कंपनी को स्थानीय मछुआरे समूहों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा रहा है। 1999 से तो वेदांता के स्वामित्व वाले 'स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टिंग वर्क्स' के नियमित विरोध प्रदर्शन हुए हैं स्थानीय क्षेत्र में - मिट्टी, पानी और वायु के संदूषण को लेके।
1997 में तो इस प्लांट से सल्फर डाइऑक्साइड लीक हो गया था - जिसके कारण से 90 लोगों की मौत भी हो गई थी। वैसा तो ये हादसा रिपीट नहीं होना चाहिए था लेकिन 2013 मैं फिर एक बार गैस लीक होने की खबर आई-जिसके बाद जयललिता के नेतृत्व वाली सरकार ने इसे बंद करने का ऑर्डर दे दिया था।
जी हां ये प्लांट हमेशा से ही विवादित रहा है।
1998 से लेके 2018 तक जितने भी टेस्ट, ऑडिट, स्टडीज और एनालिसिस हुए हैं, सभी रिपोर्ट्स से क्लियर है की कैसे ये फैक्ट्री लोकल एरिया तूतुकुडी और उसके आस पास गांव का भूजल, हवा और मिट्टी ना सिरफ प्रदूषित करता है बाल्की लोगो में तरह तरह की जान-लेवा बीमारी भी फैलाता है –जैसे की श्वसन रोग, अस्थमात्मक ब्रोंकाइटिस, ईएनटी-से मुद्दों और यहां तक की गर्भपात भी।
दिलचस्प बात यह है कि 2017 में एक वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया कि इस क्षेत्र में भूजल के अधिकांश नमूने भारी धातुओं जैसे आर्सेनिक, लेड, बोरॉन आदि से अत्यधिक दूषित हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्धारित सीमा से अधिक थे।
इसिलिए जब लोगों को पता चला की स्टरलाइट अपना क्षमता डबल कर रहा है– 4,00,000 टन से 8,00,000 टन प्रति वर्ष, तो वो धारणा पर बैठे गए –अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल. लेकिन ये पिचले कोई भी विरोध जैसा नहीं था क्योंकि इस विरोध के 100वें दिन (22 मई) जो हुआ वो बिलकुल भी होना नहीं चाहिए था।
ऐसा क्या हुआ था 22 मई 2018 में?
खैर, जिला प्रशासन द्वारा पारित कानूनी निषेधाज्ञा के खिलाफ हजारों लोगों ने थूथुकुडी कलेक्ट्रेट की ओर मार्च किया। आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर काबू पा लिया, पथराव शुरू कर दिया और वाहनों को आग लगा दी।पुलिस ने 22 मई को थूथुकुडी टाउन में विभिन्न स्थानों पर 12 लोगों की हत्या कर दी और विरोध जारी रहने पर 23 मई को एक और व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
उस काले दिन के बाद, 28 मई 2018 को तमिलनाडु पर्यावरण प्रदूषण और वन विभाग ने इस कारखाने को सील कर दिया, और उसके बाद ही दिन राज्य उद्योग संवर्धन निगम तमिलनाडु (SIPCOT) ने घोषणा की कि किया की वो कंपनी से 342.22 एकड़ जमीन लैंड वापीस ले लेंगे जो उनहोने एक्सपेंशन के लिए ग्रांट किया था।
दिलचस्प बात यह है कि इसके पहले भी ये फैक्ट्री के बार सील हुई लेकिन फिर किसी न किसी ऑर्डर से फिर से भी हुई। लेकिन 2018 के सील के बाद ऐसा कुछ नहीं हुआ। वास्तव में, एक्टिविस्ट ने काफ़ी सारे याचिकाएं उठाईं और वर्तमान एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार से अनुरोध भी किया है कि किसी भी हाल माई प्लांट री-ओपन नहीं होना चाहिए। दरअसल, अपनी याचिका में कहा है कि स्टरलाइट कॉपर के मालिक को याने की वेदांत के निर्देशकों को "पर्यावरण अपराध" के लिए मुकदमा करना चाहिए।
लेकिन 2021 माई कोर्ट का आया एक नया ऑर्डर
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल 2021 को कोरोना संकट के बीच वेदांत लिमिटेड को कोविड -19 प्रभावित रोगियों के लिए ऑक्सीजन की राष्ट्रीय मांग को पूरा करने के लिए उसी कारखाने में अपनी ऑक्सीजन उत्पादन इकाई संचालित करने की अनुमति दी। आदेश को 31 जुलाई 2021 तक रोके रखने का था।
लेकिन उस समय भी काफ़ी कार्यकर्ताओं ने विरोध किया और एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली सरकार से आग्रह किया कि स्टरलाइट को और ऑक्सीजन उत्पादन को अब राज्य सरकार को जारी करने वाली कंपनी को लेना चाहिए।
फास्ट फॉरवर्ड जून 2022 - वेदांता अब स्टरलाइट कॉपर बेचने के लिए ईओआई आमंत्रित करता है
खैर, यह सही है, एक आश्चर्यजनक कदम में, वेदांत समूह ने अब थूथुकुडी में अपने स्टरलाइट कॉपर प्लांट के लिए रुचि की अभिव्यक्ति आमंत्रित की है! जी हां वैसा तो वेदांत ग्रुप ने हमेश कहा की वो फैक्ट्री को कभी बंद नहीं करेंगे लेकिन अब उन कल ही एक अखबार विज्ञापन के जारी ईओआई बढ़ा कर दिया है।
वेदांत के प्रवक्ता ने समाचार आने के बाद कहा -
"तूतीकोरिन संयंत्र एक राष्ट्रीय संपत्ति है जो तांबे की हमारी राष्ट्रीय मांग का 40 प्रतिशत पूरा कर रही है और तांबे में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अभिन्न भूमिका निभाई है। देश और तमिलनाडु के लोगों के सर्वोत्तम हित में, हम यह सुनिश्चित करने के लिए विकल्प तलाश रहे हैं कि देश की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए संयंत्र और संपत्ति का सर्वोत्तम उपयोग किया जाए।
लेकिन निवेशकों ने ये खबर सकारात्मक रूप से नहीं लिया -
बीएसई पर वेदांत का शेयर 263.65 रुपये के पिछले बंद के मुकाबले 11.72 प्रतिशत गिरकर 232.75 रुपये पर आ गया। बीएसई पर फर्म का मार्केट कैप गिरकर 86,517 करोड़ रुपये पर आ गया। हालांकि, स्टॉक 11 अप्रैल, 2022 को 440.75 रुपये के 52-सप्ताह के उच्च स्तर पर पहुंच गया, लेकिन लार्ज कैप शेयर अब 5-दिन, 20-दिन, 50-दिन, 100-दिन और 200-दिवसीय चलती औसत से कम कारोबार कर रहा है। .
दिलचस्प बात यह है कि कंपनी के समाचार आने के बाद मार्केट में तत्काल प्रतिक्रिया को देखने को मिला है, लेकिन फिर ये प्रतिक्रिया क्षणिक रहता है, और शेयर फिर एक बार अपने फंडामेंटल्स और तकनीकी के इतिहास से ही चलता है। आपने देखा होगा की कल वेदांत 12% गिरा, लेकिन आज सेंसेक्स प्लस मैं था और ये शेयर भी बढ़ा वो भी 3%।
इसी कल को ये सौदा अगर होता है तो भी वेदांत गिर सकता है और
अगर ये सौदा नहीं होता है तो भी वेदांत गिर सकता है।
इसके विपरीत,
अगर ये सौदा होता है, तो भी वेदांत भड़ सकता है और
अगर ये सौदा नहीं होता है तो भी वेदांत भड़ सकता है।
सिंपल है, ये सब न्यूज क्षणिक होते हैं और इनका इफेक्ट बस एक-दो दिन ही रहता है और फिर शेयर अपना रूटीन ले लेता है। इसलिये हम बार बार रिपीट करते हैं की कोई भी शेयर को खरीदें और बेचने के लिए मैं जल्दबाजी ना करें खासकर न्यूज के आधार पर हमेश उसके तकनीकी और मौलिक के आधार पर ही निवेश करें। वेदांत के साथ भी इनवेस्टर्स को ये करना है - उसके फंडामेंटल को देख कर ही एनालिसिस करना है।
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