राजनीती भी जंजाल बन गयी
कुर्सी तिजोरी तो नेता नटवरलाल बन गए
एक से एक शातिर है फिराक में इसके
देखो फ़ेंक रहे पासे न जाने कैसे कैसे।
किसी ने आटा तो किसी ने दाल फ्री कर दी
पर गरीबी को हटाने की बात तक न कही
यह फ्री की दाल और आटा बस नकद भुगतान है
क्योंकि ऐसे ही आजकल खरीदा जाता मतदान है
कुर्सी तिजोरी तो नेता नटवरलाल बन गए
एक से एक शातिर है फिराक में इसके
देखो फ़ेंक रहे पासे न जाने कैसे कैसे।
किसी ने आटा तो किसी ने दाल फ्री कर दी
पर गरीबी को हटाने की बात तक न कही
यह फ्री की दाल और आटा बस नकद भुगतान है
क्योंकि ऐसे ही आजकल खरीदा जाता मतदान है