होली मनाने का वैज्ञानिक कारण || Holi festival of colours reason in hindi

रंगों का पर्व होली मनाने का वैज्ञानिक कारण 



हमारे पूर्वजो ने होली का त्योहार मनाने का निर्णेय इसलिए लिया क्योकि मार्च के महीने मे जब मौसम बदल रहा होता है, तो हमारी इमुनिटी कमजोर हो जाती है । इस समय विभिन्न प्रकार के फूल खिलते है। प्रत्येक फूल के रस मे एक बिशेष प्रकार की रोगों से लड़ने के छमता पायी जाती है। इस बात का अंदाजा हम शहद से लगा सकते है जो की फूलों के रस से मधुमक्खी बनाती है शहद मे रोगों से लड़ने की गज़ब छमता होती है । इस बात को ध्यान मे रख कर हमारे पूर्वजो ने फूलो के रस से प्रतिरोधक छमता को बढ़ाने के लिये विभिन्न प्रकार के फूलो के रस से सभी लोगों को एक साथ बीमारियों से दूर रखने के लिये एक पर्व मनाने का निर्णय लिया ।
और आज के समय मे हम लोग इस पर्व को होली के रूप मे मानते है । लेकिन होली को मनाने का तरीका पूरी तरह बदल गया है । आज के समय मे सभी लोग हानिकारक रंगो से खेलते है जिनमे विभिन्न प्रकार के हानिकारक तत्व जैसे लैड होते है जो हमारी त्वचा के लिये हानिकारक होते है । छोटे बच्चो की कोमल त्वचा तथा आंखो के लिये तो बहुत ही हानिकारक होते है । इन रंगो से आखो के रोशनी जाने का खतरा रहता भी रहता है । इसिलिय हमे रंगो के स्थान पर विभिन्न रंग के फूलो के रस का प्रयोग करना चाहिए । जैसे पीले रंग के लिये गेंदा के फूलों का रस , लाल रंग के लिये गुड़हल के फूलों का रस , नारंगी रंग के लिये टेसू के फूलों का रस , गुलाबी रंग के लिये गुलाब के फूलों का रस का प्रयोग करना चाहिए । अंत मे मेरा सबसे यही निवेदन की इस बार स्वास्थयवर्धक फूलों के रस से होली मनाये ।
आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाये

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