Nardev arya samaj geet

परम पिता से प्यार नही शुद्ध रहे व्यवहार नही
इसीलिए तो आज देखलो सुखी कोई परिवार नही
परम पिता से प्यार नही ......

अन्न फुल फल मेवाओं को समय समय पर देता है
लेकिन है आश्चर्य यही बदले में कुछ नही लेता है
करता है इनकार नही भेदभाव तकरार नही
ऐसे दानी का बन्दे माने तू उपकार नही
परम पिता से प्यार नही......

मानव  चोले में न जाने कितने यंत्र लगाये हैं
कीमत कोई माप सका न ऐसे अमूल्य बनाएं हैं
अंग कोई बेकार नही पा सकता कोई पार नही
ऐसे कारिकर का बन्दे करता जरा विचार नही
परम पिता से प्यार नही....





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