sehdev bedhadak ji

जो व्यथाएं प्रेरणा दें उन व्याथाओं को दुलारों,
झूझकर कठिनाइयों से रंग जीवन का निखारो

वृक्ष कट कट बढा है दीप बुझ बुझ कर जला है
मृत्यु से जीवन मिले तो आरती उसकी उतारो

इस भारत का देश का बेड़ा जब मझ धार जा रहा था
तो टंकारा गुजरात से एक मल्लाह भी आ रहा था

ऋषिराज तेज तेरा चहुओर छा रहा है
तेरे बताये पथ पे यह संसार आ रहा है

ऐ ऋषि याद आये जमाना तेरा
ऐ ऋषि काम वेदों का लाना तेरा




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