जिस कुटिया पर इतराते
है गाँधी,सुभास और जय प्रकाश,
जिस कुटिया ने
सिखलाया है सच्चे मन का सच्चा विकास!
नरेंद्र मोदी पर तंज
कसते हुए आगे कुमार विश्वास कहते है की अब दो लाख करोड़ रु की बुलेट ट्रेन निकली,
सत्ता पक्ष ने कहा बुलेट ट्रेन में विकास आएगा, और इतनी बढ़िया बुलेट ट्रेन हैं की
घर-घर विकास को लेने जाएगी.
यहाँ तक रेल मंत्री
पर भी तंज कसते हुए बोले की आज कल लोग ये नही पूछते की ट्रेन कब आएगी बल्कि ये
पूछते हैं की ट्रेन लाइन पर है कि नहीं?
किसी के दिल की
मायूसी, जहाँ से होके गुजरी है
हमारी सारी चालाकी,
वहीँ पर खो के गुजरी हैं!
तुम्हारी और मेरी
रातों में बस फर्क इतना है,
तुम्हारी सोके गुजरी
है, हमारी रोंके गुजरी है!
मैं अपने गीत गजलों
से उसे पैगाम करता हूँ,
उसी की दी हुई दौलत
उसी के नाम करता हूं!
हवा का काम हैं
चलाना, दिए का काम हैं जलना
वो अपना काम करती
हैं मैं अपना काम करता हूँ!
सियासत में तेरा
खोया या पाया नहीं हो सकता,
तेरी शर्तो पे गरब
या नुमाया हो नहीं सकता,
भले साजिश से गहरे
ताब में मुझको कर भी दो परमे,
स्रजन का बीज हूँ मैं
मिटटी में जाया हो नहीं सकता!
एक कुमार विश्वास की
कविता जो सभी लोगो के लिए काफी प्रिय है, जब भी कुमार विशवास ये कविता मंच पर गाते
है तो उससे पहले वहां पर मौजूद जनता ये कविता गुनगुनाने लगती है.
कोई दीनाना कहता है,
कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी
तो सिर्फ बदल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा
हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है
ये मेरा दिल समझता
है, या तेरे दिल समझता है