मानवीय भावनाओं की संवेदनशीलता और
नाजुकता को कविता के माध्यम से अच्छी तरह समझाया गया है। यह कहा जाता है कि खुशी
अल्पकालिक और क्षणिक होती है लेकिन दुख हमारे साथ विभिन्न रूप में रहता है। कविताओ
के माध्यम से जीवन की पीड़ा का प्रभाव कुछ हद तक कम होता है अनमोल जीवन के
उद्देश्य का वर्णन करने वाली कविता या तो पढ़ी जाती है या लिखी जाती है।
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अब तो ख़ुशी का गम
हैं ना गम की ख़ुशी मुझे
बेहिसाब बना चुकी हैं बहुत जिंदगी मुझे!
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अपनी हालत का खुद
एहसास नहीं हैं मुझको
मैंने औरों से सुना हैं की परेशान
हूँ मैं!
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अज़ीज़ इतना ही
रक्खो की संभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल
जाए!
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चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल
कर दिया
इश्क के इस सफ़र ने तो मुझे को निढाल कर
दिया!
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दीवारों से मिलकर कर रोना अच्छा लगता हैं
हम भी पागल
हो जाएँगे ऐसा लगता है!
· हम तो कुछ देर हंस भी लेते हैं
दिल हमेशा उदास रहता हैं!
· हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल
उदासियों
की कोई शहरियत नहीं होती!
· कभी खुद पर कभी हालत पर रोना आया
बात
निकली तो हर इक बात पर रोना आया!
· किसी के तुम हो किसी का खुदा हैं
दुनिया में
मेरे नसीब में तुम भी नहीं खुदा भी नहीं !
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तुम क्या जानों अपने आप से कितना
मैं शर्मिंदा हूँ
छुट
गया हैं साथ तुम्हारा और अभी तक मैं जिंदा हूँ!
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वो बात सोच के मैं जिस को
मुद्दतों जीता
बिछड़ते वक्त बताने की क्या ज़रूरत थी!
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आदमी बुलबुला हैं पानी का
क्या
भरोसा हैं जिंदगानी का!
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