राजनीतिक कविता

मोई जी अस्तीफा दो

मैं भी चौकीदार ::: मैं संकल्पित हूँ, मुझे डिगा अब न पाओगे. रख दूँ ग़र पैर ज़मीं पर, हिला तुम न पाओगे. कर दिया क़तरा क़तरा, देश को स…

राजनीतिक व्यंग कविता कपिल मिश्रा पर | funny poetry in hindi

राजनीतिक व्यंग कविताएं आजकल खूब पसंद की जा रही हैं । राजनेताओ के बड़े बड़े दावे उसके उलट जमीनी हकीकत होने के कारण राजनीतिक व्यंग…

जज्बात- राजनीतिक व्यंग्य हिंदी हास्य कविता

राजनीति का इस कदर छाया है सुरूर बात बात पर हर जज्बात पर नेता हो जाते है शुरू। मुद्दा हो तो ठीक नेता वेबजह का मुद्दा बना ले…

प्रणाम करता हूँ उस माँ को जिसके ईश्वर भी पैर छुता हैं- सुमित ओरछा

प्रणाम करता हूँ उस माँ को जिसके ईश्वर भी पैर छुता हैं, प्रणाम करता हूँ इस देश की पवन माटी को जिसे माँ भी मस्तक से लगाती हैं…

मेरे टूटे हुए दिल से खून के आंसू गिरते हैं.....

मेरा पहला प्यार था। हम हाल ही में 7 साल के रिश्ते के बाद अलग हो गए हैं। मैं अब भी इस लड़की से ज्यादा प्यार करता हूं , जब हम…

मैं दुनिया को कैसे देखता हूं.....

मनुष्य ने अन्याय किया है , और मैंने गौर किया है। आपको अंदाजा होना चाहिए कि 14 साल की एक लड़की को स्कूल में और टेलीविज़न पर यह…

गलियारे के पार: बहुत गरीब के लिए न्यूनतम आय योजना

हमें कानूनी रूप से गर्व हो सकता है कि लाखों लोग गरीबी की भयावह पकड़ से बच गए हैं। आखिरकार एक राजनीतिक दल ने गोली को क…

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