बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
जो तकिये के बिना कहीं…भी सोने से कतराते थे… आकर कोई देखे तो वो…कहीं भी अब सो जाते हैं… खाने में सो नखरे वाले..अब कुछ भी खा ल…
जो तकिये के बिना कहीं…भी सोने से कतराते थे… आकर कोई देखे तो वो…कहीं भी अब सो जाते हैं… खाने में सो नखरे वाले..अब कुछ भी खा ल…
आज कल की भागती दौड़ती जिन्दगी में कब कौन बिछड़ जाता हैं इस बात का अंदाजा ही नहीं लगता हैं, पता तो हमें तब चलता हैं जब हमे कोई ऐ…
हिन्दुस्तानी सेना को जब आ जाता हैं तैश, उड़े हवा में हाफिज वफिज पानी मांगे दैश, जब जब भारत पर मंडराए पाकिस्तानी बाज, घर …
मानवीय भावनाओं की संवेदनशीलता और नाजुकता को कविता के माध्यम से अच्छी तरह समझाया गया है। यह कहा जाता है कि खुशी अल्पकालिक औ…
देख कलेजा फट जाता है, आँखों से आंसू बहते ऐसा न हो कलम रो पड़े सच्चाई कहते कहते कवि सुदीप भोला की किसानो को समर्पित एक मार्मि…
. _सोचने लायक बात_ मैं मैट्रो मे सफर कर रहा था। एक औरत किताब पढ़ रही थी सामने बैठा उसका छोटा बच्चा भी किताब पढ़ रहा था तभी …
आठ दस बैल मिलकर अंगरेगी फिल्मों के पोस्टर खा रहे थे यह देखकर नन्हें नन्हें बछड़े ललचा रहे थे थोड़ी देर पश्चात मुझे पता चाली यह…
खाली कुर्सियों के बाबजूद भी लोग खड़े हैं ;दरअसल हिन्दुस्तानी आदमी ऐसी कोई चीज पर बैठना ही नही चाहता जिसपर लेट न सके आपकी संस…
कविता तिवारी जी जो कि वीर रस की कविता का पाठ करने के लिए जानी जाती हैं। मूलतः उत्तर प्रदेश के लखनऊ से आती हैं। कविता तिवारी की…
गुरु पर व्यंग कविता चपरासी खीर के पतीले पर दंड पेल रहे हैं। हैडमास्टर रोटी बेल रहे हैं सारे मास्टर मिलकर खाना परस रहे हैं …
गौरैया ने अब बागो में आना छोड़ दिया है कोयलिया ने भी दहशत में गाना छोड़ दिया है बहसी बनकर घूम रहे हैं आज चमन में भवरे। जब द…
अदब में हादसों को इसलिए अवसर नही मिलता कभी तो सिर नही मिलता कभी पत्थर नही मिलता करो कोशिश की अपनी दाल से चिपके रहो चिपके चमन…
हुल्लड मुरादाबादी जो की हास्य के क्षेत्र में जाने माने नाम है । उन्होने एक कवी सम्मेलन में राजनितिक नेताओ पर कुछ इस तरह कटा…
कोई कोई नेता भाषण देते देते इतना एक्सपर्ट हो जाता है की बो किसी भी विषय पर बोल सकता है जिसका यूज़ कुछ पता नही न हो.मेरे मुहल्ले…
इस बार आई मोदी जी की सरकार देखो सबको बताया की अच्छे दिन आयेंगे और केजरीवाल सोच रहे मेरे धरनों के लिए कहीं एक आलिशान चबूतरा …