सोनाली बेंद्रे - कैंसर
अजय देवगन - लिट्राल अपिकोंडिलितिस
(कंधे की गंभीर बीमारी)
इरफान खान - कैंसर
मनीषा कोइराला - कैंसर
युवराज सिंह - कैंसर
सैफ अली खान - हृदय घात
रितिक रोशन - ब्रेन क्लोट
अनुराग बासु - खून का कैंसर
मुमताज - ब्रेस्ट कैंसर
शाहरुख खान - 8 सर्जरी
(घुटना, कोहनी, कंधा आदि)
ताहिरा कश्यप (आयुष्मान खुराना की पत्नी) - कैंसर
राकेश रोशन - गले का कैंसर
लीसा राय - कैंसर
राजेश खन्ना - कैंसर,
विनोद खन्ना - कैंसर
नरगिस - कैंसर
फिरोज खान - कैंसर
टोम अल्टर - कैंसर...
ये वो लोग हैं या थे-
जिनके पास पैसे की कोई कमी नहीं है/थी!
खाना हमेशा डाइटीशियन की सलाह से खाते है।
दूध भी ऐसी गाय या भैंस का पीते हैं
जो AC में रहती है और बिसलेरी का पानी पीती है।
जिम भी जाते है।
रेगुलर शरीर के सारे टेस्ट करवाते है।
सबके पास अपने हाई क्वालिफाइड डॉक्टर है।
अब सवाल उठता है कि आखिर
अपने शरीर की इतनी देखभाल के बावजूद भी इन्हें इतनी गंभीर बीमारी अचानक कैसे हो गई।
क्योंकि ये प्राक्रतिक चीजों का इस्तेमाल
बहुत कम करते है।
या मान लो बिल्कुल भी नहीं करते।
जैसा हमें प्रकृति ने दिया है ,
उसे उसी रूप में ग्रहण करो वो कभी नुकसान नहीं देगा।
कितनी भी फ्रूटी पी लो ,
वो शरीर को आम के गुण नहीं दे सकती।
पर अगर हम इस धरती को प्रदूषित ना करते
तो धरती से निकला पानी बोतल बन्द पानी से
लाख गुण अच्छा था।
आप एक बच्चे को जन्म से ऐसे स्थान पर रखिए
जहां एक भी कीटाणु ना हो।
बड़ा होने से बाद उसे सामान्य जगह पर रहने के लिए छोड़ दो,
वो बच्चा एक सामान्य सा बुखार भी नहीं झेल पाएगा!
क्योंकि उसके शरीर का तंत्रिका तंत्र कीटाणुओ से लड़ने के लिए विकसित ही नही हो पाया।
कंपनियों ने लोगो को इतना डरा रखा है,
मानो एक दिन साबुन से नहीं नहाओगे तो तुम्हे कीटाणु घेर लेंगे और शाम तक पक्का मर जाओगे। इसका एक उदाहरण purified पानी के मामले इन नजर आता है
लोग बाहर धूल भरी जगह में तले पकोड़े या समोसे खाते वक़्त यह नही पूछते की यह पकोड़े या समोसे जो वे खा रहे हैं किस तेल में तले हैं वह तेल शुद्ध है या अशुद्ध । पर जब आप उनके हाथ में पानी का गिलास दोगे तब जरूर पूछेंगे की यह पानी R.O. का है या नल का । ठीक बात है भाई आप पानी शुद्ध पियो और आपको पानी जानकर ही पीना चाहिए कि यह शुद्ध है या अशुद्ध । पर बाजार से अन्य खाद्य पदार्थ खरीदते हुए आप यह क्यों नही पूछते की इसको शुद्ध तेल या घी में पकाया गया है। इसको बनाने वाले ने इसको सफाई के साथ तैयार किया है या नही। यह आप बिलकुल भी नही पूछते। आपको तो बस पानी की शुद्धता से मतलब है। मतलब दिनभर गंदा खाते रहो और ऊपर से पानी शुद्ध पी लो तो सब ठीक है।
आप पानी की शुद्धता के बारे में क्यों पूछते हैं क्योंकि विज्ञापनों के माध्यम से आपके दिमाग में एक विशेष प्रकार की सूचना दे दी गई है। हम लोगो को इतना डरा दिया गया है कि अगर अशुद्ध पानी पिया तो पीते ही मौत सच हो जाएगी। जबकि शरीर में आई छोटी मोटी समस्या को हल करने की काबिलियत होती है।
समझ नहीं आता हम कहां जी रहे है।
एक दूसरे से हाथ मिलाने के बाद लोग
सेनिटाइजर लगाते हुए देखते हैं हम।
घर के सब सदस्यों का तौलिया अलग मिलेगा जैसे आपस में एक ही तौलिया का इस्तेमाल करें तो सबको इन्फेक्शन हो जाएगा।
मृत्यु सत्य है लेकिन......
मनोहर पर्रिकर जी चले गये, सुषमा जी चली गई, जेटली जी चले गये, इन सब घटनाओं से आपने क्या सीखा, ये सब बुढापे की मौत नही गये, ये सब किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित थे, आप ये भी नही कह सकते कि इनके खानपान में कोई कमी होगी, 24 घंटे उत्तम स्तर की चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध थी, विश्व के सब ऐशो आराम इनको उपलब्ध थे फिर आखिर क्या हुआ कि इनकी मौत समय से पहले हो गई । सत्य ये है कि इस शरीर के 2 बहुत बड़े घुन हैं, एक अत्यधिक शारारिक आराम और दूसरी अत्याधिक चिंता या अत्याधिक मानसिक थकान।
बस इन्ही चीजों से आप अपने आप को बचाइये, जीवन में कभी कोई गंभीर व्याधि नही आयेगी। साथ ही ज्यादा मेडिकल, दबाईयाँ, टेस्ट, अस्पताल, डॉक्टर, ईलाज, ऑपेरशन के चक्रव्यूह में न फँसें। *हॉस्पिटल बिजनेस के लिये होता है न कि आपके स्वास्थ्य के लिये* । अस्पताल में स्वास्थ्य मिलता तो ये सब बड़े-बड़े लीडर जीवित होते तथा देश को फायदा मिलता । *किसी के लिए भी कभी भूखा प्यासा रहकर कार्य ना करें, अपने बच्चों के लिए भी नही, क्योंकि आपका शरीर स्वस्थ है तो आप हैं और आप हैं तो उनको भी सहारा दे ही सकते हैं*, प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग्य और कौशल साथ लेकर आता है इसलिए किसी के लिए भी अत्यधिक चिंता ना करें, *इच्छाओं का अंत नही होता अतः संतुष्ट रहना भी सीखें*।
जीवन मे पद महत्वपूर्ण वस्तु है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण आपका अपना शरीर है, आपकी महता तभी तक है जब तक आपका शरीर स्वस्थ है । यही आपका वास्तविक जीवन साथी है । *जब तक आपका शरीर स्वस्थ है, आपका जीवन सार्थक है।*
खुश रहकर खुशियाँ बाँटने का शुभ कार्य किजिये।
अच्छी किताबें पढिये ओर सकारात्मक मानसिकता बनाये रखिये।
सुबह 1 घण्टा चलकर शारिरिक स्वास्थ्य अच्छा बनाये रखिये, अगर 1 घण्टा अपने शरीर को देते है तो वो आपको 23 घण्टे साथ देंगे
इंसान सोच रहा है- पैसों के दम पर हम जिंदगी जियेंगे।
आपने कभी गौर किया है--
पिज़्ज़ा बर्गर वाले शहर के लोगों की एक बुखार में धरती घूमने लगती है। और वहीं दूध दही छाछ के शौकीन
गांव के बुजुर्ग लोगों का वही बुखार बिना दवाई के ठीक हो जाता है। क्योंकि उनकी डॉक्टर प्रकृति है। क्योंकि वे पहले से ही सादा खाना खाते आए है। प्राकृतिक चीजों को अपनाओ!
विज्ञान के द्वारा लैब में तैयार हर एक वस्तु शरीर के लिए नुकसानदायक है!
पैसे से कभी भी स्वास्थ्य और खुशियां नहीं मिलती।।
पैसे से आप साधन खरीद सकते हैं सुख नही। सुख साधन पर आश्रित नही है वरन यह तो अंदर की उपज है। सुख का उद्भव अभीष्ट की प्राप्ति होने पर अन्तरात्मा से होता है। इस प्रकार उपजा सुख चिरायु होता है। और अधिक समय तक टिकता है। जबकि किसी बाह्य बस्तु की वजह से उपजा सुख लंबे समय तक नही टिकता है।और हम लोग सुख की खोज में पैसे के पीछे अंधे बने दौड़ रहे हैं । मानो पैसा मिलते ही हमको सबकुछ मिल जाएगा और पैसे से हम सारे सुख खरीद लेंगे।
पहली बात तो पैसे से सारी चीजें नही खरीद सकते ।
और दूसरा यह कि हम पैसे से साधन तो खरीद सकते है पर सुख नही।
आइए फ़िर से_ चलें
प्रकृति की ओर...
अजय देवगन - लिट्राल अपिकोंडिलितिस
(कंधे की गंभीर बीमारी)
इरफान खान - कैंसर
मनीषा कोइराला - कैंसर
युवराज सिंह - कैंसर
सैफ अली खान - हृदय घात
रितिक रोशन - ब्रेन क्लोट
अनुराग बासु - खून का कैंसर
मुमताज - ब्रेस्ट कैंसर
शाहरुख खान - 8 सर्जरी
(घुटना, कोहनी, कंधा आदि)
ताहिरा कश्यप (आयुष्मान खुराना की पत्नी) - कैंसर
राकेश रोशन - गले का कैंसर
लीसा राय - कैंसर
राजेश खन्ना - कैंसर,
विनोद खन्ना - कैंसर
नरगिस - कैंसर
फिरोज खान - कैंसर
टोम अल्टर - कैंसर...
ये वो लोग हैं या थे-
जिनके पास पैसे की कोई कमी नहीं है/थी!
खाना हमेशा डाइटीशियन की सलाह से खाते है।
दूध भी ऐसी गाय या भैंस का पीते हैं
जो AC में रहती है और बिसलेरी का पानी पीती है।
जिम भी जाते है।
रेगुलर शरीर के सारे टेस्ट करवाते है।
सबके पास अपने हाई क्वालिफाइड डॉक्टर है।
अब सवाल उठता है कि आखिर
अपने शरीर की इतनी देखभाल के बावजूद भी इन्हें इतनी गंभीर बीमारी अचानक कैसे हो गई।
क्योंकि ये प्राक्रतिक चीजों का इस्तेमाल
बहुत कम करते है।
या मान लो बिल्कुल भी नहीं करते।
जैसा हमें प्रकृति ने दिया है ,
उसे उसी रूप में ग्रहण करो वो कभी नुकसान नहीं देगा।
कितनी भी फ्रूटी पी लो ,
वो शरीर को आम के गुण नहीं दे सकती।
पर अगर हम इस धरती को प्रदूषित ना करते
तो धरती से निकला पानी बोतल बन्द पानी से
लाख गुण अच्छा था।
आप एक बच्चे को जन्म से ऐसे स्थान पर रखिए
जहां एक भी कीटाणु ना हो।
बड़ा होने से बाद उसे सामान्य जगह पर रहने के लिए छोड़ दो,
वो बच्चा एक सामान्य सा बुखार भी नहीं झेल पाएगा!
क्योंकि उसके शरीर का तंत्रिका तंत्र कीटाणुओ से लड़ने के लिए विकसित ही नही हो पाया।
कंपनियों ने लोगो को इतना डरा रखा है,
मानो एक दिन साबुन से नहीं नहाओगे तो तुम्हे कीटाणु घेर लेंगे और शाम तक पक्का मर जाओगे। इसका एक उदाहरण purified पानी के मामले इन नजर आता है
लोग बाहर धूल भरी जगह में तले पकोड़े या समोसे खाते वक़्त यह नही पूछते की यह पकोड़े या समोसे जो वे खा रहे हैं किस तेल में तले हैं वह तेल शुद्ध है या अशुद्ध । पर जब आप उनके हाथ में पानी का गिलास दोगे तब जरूर पूछेंगे की यह पानी R.O. का है या नल का । ठीक बात है भाई आप पानी शुद्ध पियो और आपको पानी जानकर ही पीना चाहिए कि यह शुद्ध है या अशुद्ध । पर बाजार से अन्य खाद्य पदार्थ खरीदते हुए आप यह क्यों नही पूछते की इसको शुद्ध तेल या घी में पकाया गया है। इसको बनाने वाले ने इसको सफाई के साथ तैयार किया है या नही। यह आप बिलकुल भी नही पूछते। आपको तो बस पानी की शुद्धता से मतलब है। मतलब दिनभर गंदा खाते रहो और ऊपर से पानी शुद्ध पी लो तो सब ठीक है।
आप पानी की शुद्धता के बारे में क्यों पूछते हैं क्योंकि विज्ञापनों के माध्यम से आपके दिमाग में एक विशेष प्रकार की सूचना दे दी गई है। हम लोगो को इतना डरा दिया गया है कि अगर अशुद्ध पानी पिया तो पीते ही मौत सच हो जाएगी। जबकि शरीर में आई छोटी मोटी समस्या को हल करने की काबिलियत होती है।
समझ नहीं आता हम कहां जी रहे है।
एक दूसरे से हाथ मिलाने के बाद लोग
सेनिटाइजर लगाते हुए देखते हैं हम।
घर के सब सदस्यों का तौलिया अलग मिलेगा जैसे आपस में एक ही तौलिया का इस्तेमाल करें तो सबको इन्फेक्शन हो जाएगा।
मृत्यु सत्य है लेकिन......
मनोहर पर्रिकर जी चले गये, सुषमा जी चली गई, जेटली जी चले गये, इन सब घटनाओं से आपने क्या सीखा, ये सब बुढापे की मौत नही गये, ये सब किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित थे, आप ये भी नही कह सकते कि इनके खानपान में कोई कमी होगी, 24 घंटे उत्तम स्तर की चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध थी, विश्व के सब ऐशो आराम इनको उपलब्ध थे फिर आखिर क्या हुआ कि इनकी मौत समय से पहले हो गई । सत्य ये है कि इस शरीर के 2 बहुत बड़े घुन हैं, एक अत्यधिक शारारिक आराम और दूसरी अत्याधिक चिंता या अत्याधिक मानसिक थकान।
बस इन्ही चीजों से आप अपने आप को बचाइये, जीवन में कभी कोई गंभीर व्याधि नही आयेगी। साथ ही ज्यादा मेडिकल, दबाईयाँ, टेस्ट, अस्पताल, डॉक्टर, ईलाज, ऑपेरशन के चक्रव्यूह में न फँसें। *हॉस्पिटल बिजनेस के लिये होता है न कि आपके स्वास्थ्य के लिये* । अस्पताल में स्वास्थ्य मिलता तो ये सब बड़े-बड़े लीडर जीवित होते तथा देश को फायदा मिलता । *किसी के लिए भी कभी भूखा प्यासा रहकर कार्य ना करें, अपने बच्चों के लिए भी नही, क्योंकि आपका शरीर स्वस्थ है तो आप हैं और आप हैं तो उनको भी सहारा दे ही सकते हैं*, प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग्य और कौशल साथ लेकर आता है इसलिए किसी के लिए भी अत्यधिक चिंता ना करें, *इच्छाओं का अंत नही होता अतः संतुष्ट रहना भी सीखें*।
जीवन मे पद महत्वपूर्ण वस्तु है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण आपका अपना शरीर है, आपकी महता तभी तक है जब तक आपका शरीर स्वस्थ है । यही आपका वास्तविक जीवन साथी है । *जब तक आपका शरीर स्वस्थ है, आपका जीवन सार्थक है।*
खुश रहकर खुशियाँ बाँटने का शुभ कार्य किजिये।
अच्छी किताबें पढिये ओर सकारात्मक मानसिकता बनाये रखिये।
सुबह 1 घण्टा चलकर शारिरिक स्वास्थ्य अच्छा बनाये रखिये, अगर 1 घण्टा अपने शरीर को देते है तो वो आपको 23 घण्टे साथ देंगे
इंसान सोच रहा है- पैसों के दम पर हम जिंदगी जियेंगे।
आपने कभी गौर किया है--
पिज़्ज़ा बर्गर वाले शहर के लोगों की एक बुखार में धरती घूमने लगती है। और वहीं दूध दही छाछ के शौकीन
गांव के बुजुर्ग लोगों का वही बुखार बिना दवाई के ठीक हो जाता है। क्योंकि उनकी डॉक्टर प्रकृति है। क्योंकि वे पहले से ही सादा खाना खाते आए है। प्राकृतिक चीजों को अपनाओ!
विज्ञान के द्वारा लैब में तैयार हर एक वस्तु शरीर के लिए नुकसानदायक है!
पैसे से कभी भी स्वास्थ्य और खुशियां नहीं मिलती।।
पैसे से आप साधन खरीद सकते हैं सुख नही। सुख साधन पर आश्रित नही है वरन यह तो अंदर की उपज है। सुख का उद्भव अभीष्ट की प्राप्ति होने पर अन्तरात्मा से होता है। इस प्रकार उपजा सुख चिरायु होता है। और अधिक समय तक टिकता है। जबकि किसी बाह्य बस्तु की वजह से उपजा सुख लंबे समय तक नही टिकता है।और हम लोग सुख की खोज में पैसे के पीछे अंधे बने दौड़ रहे हैं । मानो पैसा मिलते ही हमको सबकुछ मिल जाएगा और पैसे से हम सारे सुख खरीद लेंगे।
पहली बात तो पैसे से सारी चीजें नही खरीद सकते ।
और दूसरा यह कि हम पैसे से साधन तो खरीद सकते है पर सुख नही।
आइए फ़िर से_ चलें
प्रकृति की ओर...