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होली का त्यौहार भारत में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसमें पहले होलिका पूजन किया जाता है . फिर अगले दिन रंग खेलने का त्यौहार मनाया जाता है. रंग खेलने को लोग धुलेंडी के नाम से भी जाना जाता है. मथुरा के बरसाने गाँव की लठामार होली विश्व प्रसिद्द हैं . लोग बरसाने की लठामार होली देखने विश्वभर से भारत  आते हैं. जैसा की नाम से ही इंगित हैं की लठामार होली लाठियों से खेली जाती है जिसमे बरसाने गाँव की औरतें लाठियों से मर्दों को मारती हैं और उनके पास अपने बचाव के लिए ढाल होती है साथ ही रंग और गुलाल की बरसात होती हैं.
होली का त्यौहार मनाने की रीति स्थान स्थान पर भिन्न है. परन्तु होलिका पूजन और अगले दिन रंग खेलने  की परंपरा लगभग सभी जगह सामान है. होलिका पूजन को कुछ लोग सामूहिक यज्ञ भी कहते हैं . होलिका पूजन से करीब १५ दिन पहले से ही मोहल्लों के चौरहों पर होलीका दहन के लिए लकड़ी इकट्ठी करना स्टार्ट कर देंते हैं . और होलिका पूजन के दिन इसमें लोग घर में बने पकवान चढाते हैं . और सभी की  सुख और समृधि की कामना करते हैं. 

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