दोहावली- आधुनिक वक़्त के दोहे || आधुनिक दोहे


नई सदी में मिल रही दर्द भरी सौगात
बेटा कहता बाप से तेरी क्या औकात..

पानी आँखों का मरा मारी शर्म और लाज
कहे बहु अब सास से घर में मेरा राज

मंदिर में पूजा करे घर में करे कलेश
बापू तो बोझा लगे पत्थर लगे गणेश

सास ससुर लाचार हैं बहू न पूछे हाल
डेरे में सेवा करे , बाबा हुआ निहाल

अब तो अपना खून भी करने लगा कमाल
बोझ समझ माँ बाप को घर से रहा निकाल

माँ की ममता बिक रही बिके पिता का प्यार
मिलते हैं बाजार में वफा बेंचते यार..

भाई भाई में हुआ अब कुछ ऐसा बैर
रिश्ते टूटे खून के प्यारे लगते गैर

रिश्तों को यूँ तोड़ ते,जैसे कच्चा सूत
बंटवारा माँ बाप का , करने लगे कपूत

..                                          रघुविंदर यादव

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