चन्द क्षण जीवन के तेरे रह गये ||Arya Samaj Geet



चन्द क्षण जीवन के तेरे रह गये,

और तो विषयों में सारे बह गये ,



जाने कब जाना पड़े तन छोड़कर



इष्ठ मित्रों से सदा मुँह मोड़कर ।

जानकर अनजान क्यों तुम बन गये।।

और तो विषयों में सारे बह गये,


चन्द क्षण जीवन के तेरे रह गये।।


लक्ष्य था शिवपुर में जाने का बड़ा,

जिस समय माँ गर्भ में था तू पड़ा।

लक्ष्य क्यूँ अपना भुलाकर रह गये।।


और तो विषयों में सारे बह गये,

चन्द क्षण जीवन के तेरे रह गये।।


छोड़ धन-दौलत सिकन्दर चल दिया ,

आत्मा का हित ज़रा भी नहि किया ।

हीरे-मोती के ख़ज़ाने रह गये।।


और तो विषयों में सारे बह गये,

चन्द क्षण जीवन के तेरे रह गये।।


क्या तू लेकर आया था क्या जायेगा,

तन भी एक दिन ख़ाक में मिल जायेगा।

देह भी  ज्ञेय ज्ञानी कहे गये


और तो विषयों में सारे बह गये ,

चन्द क्षण  जीवन के तेरे रह गये।।


ज्ञान का अंदर समुन्दर बह रहा,

खोज सुख की मूढ़ बाहर कर रहा।

क्यूँ चिदानंद व्यर्थ में दुख सह रहे ।।


और तो विषयों में सारे बह गये,

चन्द क्षण जीवन के तेरे रह गये।।

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