इस पोस्ट में हमने Very short hindi kavita को संकलित किया है
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इस विश्व के बाग में आ करके
मत फूल के यूं इतराते चलो
ना दुखाओ किसी दुखिया दिल को
मत राह में कांटे बिछाते चलो
हितैषी बाहार है दो दिन की
अपने आप को यह समझाते हुए
खुशबू का खजाना लुटाते हुए
यह जीवन उच्च बनाते चलो
Short hindi kavita
इश्क बड़ा चालाक है उसको फुसलाने की आदत है
हुस्न बहुत मासूम की जिसको फस जाने की आदत है।
एक तमाशा हमने देखा राजनीति के सर्कस में
शेरों को बकरी के आगे मिमियाने की आदत है।
अच्छी सूरत वालो मुझको चाहों जैसे कत्ल करो
अच्छी सूरत पर मरजाना दीवाने की आदत है।
देखो बालम सपनों में अब आना जाना बंद करो
तुम क्या जानो नींद में हमको बर्राने की आदत है।
विश्वनाथ घोष की Short Poems
समय
उगते सूरज को देखा
दूर क्षतिज से निकल ही रहा था
फिर मैं फ़ोन में व्यस्त हो गया
मुड़कर देखा सूरज पेड़ पर बैठा है
तब मालूम चला कैसा दिखता है
वक़्त का गुजरना
तारे
कैसे भूल सकता हूँ वो रात
चालीस साल पहले छत पर
मै और पड़ोस की वो लड़की
तारों की कालीन के नीचे
चमकता हुआ उसका चेहरा .
घर अब भी वही है रात भी वैसी है
मगर छत पर जाने की फुर्सत किसे
वो लड़की किसी और के घर की नानी है
और रही बात तारों की
उन्हें तो प्रदूषण निगल गया
बनारस में उद्देश्य हीन
अगर गये बनारस किसी उद्देश्य से
तो बनारस नही दिखेगा
दिखेगी भीड़ , दिखेंगे पुजारी पंडे
दिखेंगी देह मृत और जागृत
दिखेगी दुकानदारी
दिखेगी दुनियादारी
शायद भगवान् भी दिख जाय
मगर बनारस नही दिखेगा
बनारस देखना हो तो जाओ उद्देश्यहीन
यह बनारस है
वो कहते हैं
यह बनारस है
तभी गंगा यहाँ उत्तर वाहिनी है
हम कहते हैं
गंगा यहाँ उत्तर वाहिनी है
तभी बनारस है
वोभी ठीक हैं , हम भी ठीक हैं
मतों का भेद ही तो बनारस है
नरेन्द्र मोदी
दर्द था पुराना, जख्म थे गहरे
फिर भी कुछ अंधे बने रहे, कुछ बहरे
फिर मोदी के नाम की एक, दवा आई
पहली बार आजाद हिन्द में,
आजादी की हवा आई
कुसुम गोस्वामी 'किम'
मैं भी चौकीदार :::
मैं संकल्पित हूँ,
मुझे डिगा अब न पाओगे.
रख दूँ ग़र पैर ज़मीं पर,
हिला तुम न पाओगे.
कर दिया क़तरा क़तरा,
देश को समर्पित मैंने.
अब न हटूँगा कर्तव्यों से,
पीछे धकेल न पाओगे.
बिछाया है जाल दुश्मन ने,
कदम-कदम पर मेरे.
कितने भी शातिर हो तुम,
मुझे परास्त कर न पाओगे.
चौकीदार चोर है" कहके,
ताना देते है मुझको.
शिकंजे में हो मत भूलों,
किसी क़ाबिल रह न पाओगे.
रात के अँधियारे में,
अब और काले धंधे न होंगे.
जाग रहा है चौकीदार,
नज़र से मेरी बच न पाओगे
"पिल्ला"
पिल्ला बैठा कार में मानुष ढ़ोबे बोझ
भेद न इसका मिल सका बहुत लगाई खोज
बहुत लगाई खोज रोज साबुन से नहाता
मम्मी जी हाथ दूध से रोटी खाता
कह काका वर मांगत हूँ मैं चिल्ला चिल्ला
पुनर्जन्म में प्रभु बनाना हमको पिल्ला
-"काका हाथरसी"
पहले खुद को भलीभांति आंको सही
प्यार गैरों में अपना बांटो सही
सीख देना तो गैरों को आसान है
पहले अपने गिरेबा में झांको सही।।
सानिया सिंह
जिस पर उसकी रहमत हो वो दौलत मांगता है क्या
मोहब्बत करने वाला दिल मोहब्बत मांगता है क्या
तेरा दिल कोई जब भी उजाला बन के आ जाना
कभी उगता हुआ सूरज इजाजत मांगता है क्या
तमन्ना की इकाई गर दहाई में बदल जाए
पहाड़े सा मेरा जीवन रुबाई में बदल जाए
अपने अंक में ले लो तो यह मेरा जीवन
सफलता की किसी स्वर्णिम इकाई में बदल जाए
अंकिता सिंह