प्रणाम करता
हूँ उस माँ को जिसके ईश्वर भी पैर छुता हैं,
प्रणाम
करता हूँ इस देश की पवन माटी को जिसे माँ भी मस्तक से लगाती हैं!!
देश को
सब कुछ दे देने की पवन पूण्य प्रथाए भी,
लेकिन
उनको खो देने की होंगी सदा व्यथाए भी !
पुरे देश
की सिसकन पर मैं इतना कहता हूँ,
जब तक
भारत देश रहेगा होंगी अटल कथाये भी !
हमे छोड़
कर आप गये तो हम भी यह कह जायेंगे,
बीच
भावर में साथ छोड़ने वाले भी बह जायेंगे
यदि
युद्ध में अर्जुन बनना हैं तो पूरी बात सुनो,
अर्ध
कथाये सुनने वाले अभिमन्यु रह जायेंगे !
किसी ने
कहा मैं भारत माता की जय नही बोलुंगे,
मैंने
कहा उवैसी तुम भारत माता की जय बोलना भी मत,
क्योंकि
गन्दी जुबा से मंत्रो के जाप किये नही जाते!
नाजायज
संतानों को पर क्यों हमला नही करता,
हिंदुस्तान
दो कौडी के मुल्क पाकिस्तान पर क्योंकि,
नाजायज
संतानों को स्वीकार नही करते हैं हम,
बात
बराबर की न हो तो वार नही करते हैं हम !!
आगे
सुमित ओरछा ने कहा की मई मिथकों पर बात करता हूँ और इस देश में जो भी मिथक उडाये
गये, कहा गया की सावरकर जी ने अंग्रेजो से क्षमा मांगी, इस बात पर सुमित ने कुछ चार लाइन कही...
वो सूरज
का बेटा तम से क्षमा मांग के क्या करता,
जो
संघर्षो का पारियाई क्षमादान, क्षमा मांग कर क्या करता
क्षमादान
माँगा होता तो अत्त्याचार नही होते,
मज़बूरी
में तैर तैर कर सागर पार नही होते,
उनके
बच्चों को भी सत्ता का ताज मिला होता,
माफ़ी
मांगी होती तो उनको भी राज मिला होत!
कठिन
कुर्तम काला पानी का संत्रास नही मिला होता!
एक जन्म
में दो जन्मो का कारावास नही मिला होता !!
हिंदुस्तान जिन्दाबाद, हिंदुस्तान जिन्दाबाद
ये देश
हिन्दू तालीबान कभी नही बन सकता,
लेकिन
तुम वो मत बन जाना नेता जी जिसका मुझे भय हो रहा हैं
कि तुम
भारत माता के दुश्मन, जानी बन न जाना,
देश में
अपने देश द्रोही के मानी बन न जाना
और वोटो
की लालच में इतना गिरते गिरते
इस
चुनाव से पहले पाकिस्तानी भी बन न जाना!
हिन्दुस्तान
के बंटवारे पर कुछ 4 लाइने....
जो भी
था जैसा भी था वो नेक नही था,
बंटवारे
का दोषी कोई एक नही था,
दोनों
से ही भारत माँ दुखियारी थी,
दोनों
को केवल कुर्शी प्यारी थी,
दोनों
के अरमान भाहूत ही खोटे निकले,
बड़ा
उन्हें समझा था पर वो छोटे निकले
वो भारत
में षड्य्न्रो की अंधी थी !
जो भी
हमसे युद्ध लडेगा, महंगा उसे पड़ेगा तब,
केवल सैनिक नही लड़ेंगे, पूरा देश लडेगा जब
सैनिक
शिकन न आने देंगे भारत माँ के माथे में,
हम भी
अपना धन शौपेंगे सारा देश के खाते में !!
क्रोधित
हूँ मैं धर्म सनातन पर आई नई बाधा पर
ऐरे
गैरे बोल रहे हैं संतो की मरियादा पर,
अर्ध
शब्द को दुनिया वाले पूर्ण जान कर बोल गए,
बस पाखंडी
लोगो को संत मान कर बोल गए,
उनको
अंतर ज्ञान नही हैं संत महंत प्रवक्ता में,
जैसे हैं
स्पष्ट न्याय भी इस अधिवक्ता में,
भक्त प्रभु
के होंगे लेकिन वो भगवन नहीं,
कथा
प्रवक्ता पूज्य सदा पर लेकिन वो संत नही!