पिछली बार बिहार में सरकार टूट गई। कुछ लोगों ने कहा, अमित शाह ने इसे तोड़ दिया। उसने कहा, प्रधानमंत्री ने इसे तोड़ दिया और कुछ नहीं कहा। नीतीश कुमार ने स्वयं ही सरकार को तोड़ दिया।
मैं अब इस संदर्भ में आपको शंभू शिखर जी के द्वारा रचित एक हास्य कविता सुनाने जा रहा हूं। कविता के बोल इस प्रकार!
उल्टे तवे पर रोटी आ सकती नहीं ज्यादा,
घटिया हो क्वालिटी तो बिकती नहीं ज्यादा।
एक सीख राजनीति यहां दे गई बिहार की।
दारू के बिना दोस्ती टिकती नहीं ज्यादा ।।
चीनी को जमा करके फिर से गन्ना बना दूँ।
हीरा दे मुझको उसका भी मैं पन्ना बना दूं।
टोपी बेचता हुआ बोला कि बाबूजी,
ला ₹20 दे मैं तुझको अन्ना बना दूं।