मोई जी अस्तीफा दो

 मैं भी चौकीदार :::


मैं संकल्पित हूँ,

मुझे डिगा अब न पाओगे.

रख दूँ ग़र पैर ज़मीं पर,

हिला तुम न पाओगे.


कर दिया क़तरा क़तरा,

देश को समर्पित मैंने.

अब न हटूँगा कर्तव्यों से,

पीछे धकेल न पाओगे.


बिछाया है जाल दुश्मन ने,

कदम-कदम पर मेरे.

कितने भी शातिर हो तुम,

मुझे परास्त कर न पाओगे.


चौकीदार चोर है" कहके,

ताना देते है मुझको.

शिकंजे में हो मत भूलों,

किसी क़ाबिल रह न पाओगे.


रात के अँधियारे में,

अब और काले धंधे न होंगे.

जाग रहा है चौकीदार,

नज़र से मेरी बच न पाओगे

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