टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की-सुदीप भोला

दोस्तों कवि सुदीप भोला देश के उन चंद कवियों में से एक हैं जिन्होंने बहुत ही कम समय में बड़े बड़े मंचो से कविता पाठ कर अपनी प्रतिभा को जन जन तक  पहुंचाया है । सुदीप भोला मध्यप्रदेश से आते हैं।सुदीप भोला के पैरोडी गीत बहुत ही लोकप्रिय हुए हैं साथ ही इन्होंने हास्य व्यंग्य की विधा में बहुत ही गहरिबात आसान शब्दों में जन जन तक पहुंचाई हैं। इनका कविता पाठ का अपना अलग ही अंदाज़ हैं । नइम्नांकित कविता सुदीप भोला जी की किसान की वर्तमान स्तिथि पर एक अत्यंत मार्मिक कविता के माध्यम उन्होंने अपनी बात कही है।  कवि सुदीप भोला की किसानो को समर्पित एक मार्मिक कविता
                                  


जो देता है खुशहाली जिसके दम से हरियाली
आज वही बर्बाद खड़ा है देखो उसकी बदहाली।
बहुत बुरी हालत है ईश्वर धरती के भगवान् की
टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की...

ऐसी आंधी चली की घर का तिनका तिनका बिखर गया
आखिर धरती माँ से उसका प्यारा बेटा बिछड़ गया
अखबारो की रद्दी बनकर बिकी कथा बलिदान की
टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की। 


इतना सूद चुकाया उसने की अपनी सुध भूल गया
सावन के मौसम में झूला लगा के फाँसी झूल गया।
अमुआ की डाली पर देखो लाश टंगी ईमान की
टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की.....


एक अरब पच्चीस करोड़ की भूख जो रोज मिटाता है
कह पता नही वो किसी से जब भूखा सो जाता है
फिर सीने पर गोली खाता सरकारी सम्मान की
टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की। 

किसी को काले धन की चिंता किसी को भ्रष्टाचार की
मगर लड़ाई कौन लड़ेगा फसलों के हक़दार की
सरे आम बाजार में इज्जत लुट जाती खलिहान की
टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की। 

जो अपने कांधे पर देखो खुद हल लेकर चलता है
आज उसी की कठिनाइयों का हल क्यों नही निकलता है।
है जिससे उम्मीद उन्हें बस चिंता है मतदान की
टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की...

देख कलेजा फट जाता है, आँखों से आंसू बहते
ऐसा न हो कलम रो पड़े सच्चाई कहते कहते
बाली तक गिरवी रक्खी है बेटी के अभिमान की। 

टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की...
चीख पड़ी खेतो की माटी तड़प उठी गम से धरती
बिना कफ़न के पगडण्डी से गुजरी जब उसकी अरथी।
और वही विदा हो गया जिसे चिंता थी कन्यादान की
टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की।।


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16 टिप्पणियाँ

  1. प्रणाम है कविराज दिल भावुक जो गया हमारा दर्द गाने के लिए

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  2. प्रणाम है कविराज दिल भावुक जो गया हमारा दर्द गाने के लिए

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  3. नेताओ पर बनकर गिरेगा गोल ,, क्योंकि हमारे धरा पर आ गए है देश भक्ति कवि भोला ।। उस माँ को प्रणाम जिसने जिसने कविराज को जन्म दिया

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  4. किसान के दर्द को शब्दों मे क्या खूब बयां कीया है आपने बहुत खूब लिखा है

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  5. आपने किसानो के जीवन यात्रा का सच्चा चित्रण किया है...आपको लाखो लाख धन्यवाद...आपकी लेखनी ऐसे ही बुलन्द रहे...समाज के सबसे ज्यादा पीड़ित और शोषित वर्ग के लिए ऐसे ही गरजती रहे... यही शुभकामनाएं...

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  6. Best of कविराज की आपकी कविता दिल को छू लेने वाली है

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  7. अति उत्तम, उम्दा और जीवंत कविता

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  8. मैं जो भी बोलू वह कम होगा
    यह भोला का व्यंग्य रूपी गोला है

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