कुमार विश्वास की कविता

पुरानी  दोस्ती को इस नई ताक़त से मत तोलो।
यह सम्बन्धो की तुरपाई यूँ षडयंत्रो से मत खोलो।
मेरी लहजे की छेनी से गढ़े कुछ देवता   जो कल ,
मेरे लफ्जों पे मरते थे वो अब कहते  बोलो  . 
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