हिंदी हास्य कविता लिरिक्स
एक मित्र ने पूछा यार क्या करूँ आजकल काम में बहुत मंदा है दूसरा बोला बाबा बनजा कम लागत में सबसे अच्छा धंधा है आज किसी के पास क…
एक मित्र ने पूछा यार क्या करूँ आजकल काम में बहुत मंदा है दूसरा बोला बाबा बनजा कम लागत में सबसे अच्छा धंधा है आज किसी के पास क…
राजनीति का इस कदर छाया है सुरूर बात बात पर हर जज्बात पर नेता हो जाते है शुरू। मुद्दा हो तो ठीक नेता वेबजह का मुद्दा बना ले…
मेरा पहला प्यार था। हम हाल ही में 7 साल के रिश्ते के बाद अलग हो गए हैं। मैं अब भी इस लड़की से ज्यादा प्यार करता हूं , जब हम…
हालाँकि मैं केवल 26 साल का हूँ , मुझे लगता है जैसे समय अब हमारी तरफ नहीं है। साल बीतने के साथ मेरा परिवार छोटा होता चला गय…
मनुष्य ने अन्याय किया है , और मैंने गौर किया है। आपको अंदाजा होना चाहिए कि 14 साल की एक लड़की को स्कूल में और टेलीविज़न पर यह…
सुदीप भोला हिन्दी हास्य के जाने माने हस्ताक्षर है। बहुत ही कम समय में उन्होंने हिंदी कविता के मंचों पर काव्यपाठ कर अपनी अद्भुत…
आठ दस बैल मिलकर अंगरेगी फिल्मों के पोस्टर खा रहे थे यह देखकर नन्हें नन्हें बछड़े ललचा रहे थे थोड़ी देर पश्चात मुझे पता चाली यह…
खाली कुर्सियों के बाबजूद भी लोग खड़े हैं ;दरअसल हिन्दुस्तानी आदमी ऐसी कोई चीज पर बैठना ही नही चाहता जिसपर लेट न सके आपकी संस…
गुरु पर व्यंग कविता चपरासी खीर के पतीले पर दंड पेल रहे हैं। हैडमास्टर रोटी बेल रहे हैं सारे मास्टर मिलकर खाना परस रहे हैं …
हुल्लड मुरादाबादी जो की हास्य के क्षेत्र में जाने माने नाम है । उन्होने एक कवी सम्मेलन में राजनितिक नेताओ पर कुछ इस तरह कटा…
कोई कोई नेता भाषण देते देते इतना एक्सपर्ट हो जाता है की बो किसी भी विषय पर बोल सकता है जिसका यूज़ कुछ पता नही न हो.मेरे मुहल्ले…
इस बार आई मोदी जी की सरकार देखो सबको बताया की अच्छे दिन आयेंगे और केजरीवाल सोच रहे मेरे धरनों के लिए कहीं एक आलिशान चबूतरा …
पुरानी दोस्ती को इस नई ताक़त से मत तोलो। यह सम्बन्धो की तुरपाई यूँ षडयंत्रो से मत खोलो। मेरी लहजे की छेनी से गढ़े कुछ देवता ज…
-:बनज कुमार बनज के दोहे:- philosophical Dohe in hindi बरगद पनघट पे खड़ा लिखता है इतिहास। कि…
सब देवी देवतओं के वाहन जानवर हैं . वहां स्वर्ग में भी peta वाले पहुँच जाते हैं और जानवरों से बोलते हैं तुम्हे भी छुट्टी लेनी च…
सतगुरु हमसे रीझिकर, एक कह्या प्रसंग, पढ़ना तो फ़िर होयगा, चलो सनीमा संग। गुरु कुम्हार शिष कुम्भ है, गढ़-गढ़ काढै खोट, नोट ल…
सुदीप भोला जी ने पैरोडी गीतों के माध्यम से देश की राजनीति पर बेजोड़ कटाक्ष किये हैं। उनके द्वारा रचित पैरोडी गीतों में व्यंग की…