गंदी बात, गंदी गंदी बात |पैरोडी हिन्दी हास्य कविता -सुदीप भोला

 सुदीप भोला हिन्दी हास्य के जाने माने हस्ताक्षर है। बहुत ही कम समय में उन्होंने हिंदी कविता के मंचों पर काव्यपाठ कर अपनी अद्भुत पहचान बनाई है।मूलरूप से मध्यप्रदेश के रहने वाले सुदीप भोला अपने राजनीतिक व्यंगो के लिए जाने जाते हैं उनकेउनके राज पर कटाक्ष किसी नेता या किसी पार्टी विशेष तक सीमित न होकर बड़े व्यापक और मनोहारी रूप में लिखित हैं।
अक्सर वे अपने काव्य पाठ की शुरुआत इन्हीं व्यंगों से करते हैं

कवि सुदीप भोला हास्य कवि पर कुछ राजनीतिक हास्य सुनाए जिनको सुन कर और पढ़ कर सभी लोट पॉट हो गए आप भी पढ़े यहाँ सुदीप भोला की कुछ दिलचस्प कविताये

हर चुभन सहके महकते है गुलाबो की तरहा,
जानते सब है लेकिन चुप है किताबों  की तरहा,
और इन बुजुर्गो को तो पलकों में बिठा कर रहना,
वार्ना ये उड़ जायेंगे रात के ख्वाबों की तरहा।

सुदीप भोला ने कहा बहुत विषम परिस्थितियां देखने को मिली राजीनित में, जब चुनाव होते है तो पुरे देश का वातावरण और मुद्दे बदल जाते है आगे उन्होंने कहा की मुझे समझ में नहीं आता कि भारत कृषि प्रधान देश है या समस्या प्रधान देश है। साथ ही उन्होंने एक कविता अन्ना जी पर की...-

खाली पीली अटठारह दिन कि खाना नहीं दिया रे,
भोले-भाले अन्ना जी का मिसयूज किया रे,
झाड़ू और मफलर ने सरकार बनाई,
धरने धर-धर के चाट गए मलाई,
अनशन अन्ना करे, टेंशन अन्ना करे,
प्रवचन अन्ना करे, सत्ता लगी उनके हाथ,
गंदी बात, गंदी गंदी बात।
बीजेपी का मैडम बेदी जी दिल्ली लाने पर सुदीप भोला की २ पंक्तियां-
बोले-बोले मोदी से अमित शाह बोले,
ये खबर है दिल्ली के हर कोने दी, हाँ कोने-कोने दी
ये बेदी डॉल है सोने दी,
बिजली के झटके, पानी के मटके,
मुफलर वालों के फटके छोड़ आई है, दिल तोड़ आई है,
ये छड़ी पकड़ लो जादू टोन दी,
ये बेदी डॉल है सोने दी।

ऊपर मोदी का मकान नीचे झाड़ू की दूकान,
पीछे कांग्रेस के दफ्तर में है 70 कूड़ेदान
हाय रे हाय-हाय रे।


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