हिंदी हास्य कविता -अरुण जैमिनी| hasya kavita in hindi

सब  देवी देवतओं के वाहन जानवर हैं . वहां स्वर्ग में भी peta वाले पहुँच जाते हैं और जानवरों से बोलते हैं तुम्हे भी छुट्टी लेनी चाहिए इतने वर्षो से काम कर रहे हो ..
अब एक सभा बुलाई जाति है अध्यक्षता करते हैं ब्रह्मा जी क्यूंकि उनके पास कोई वाहन नही है.

तो सब वाहन छुट्टी पाने के लिए अपने अपने तर्क देते हैं...

सबसे पहले पक्षी राज गरुण आय बोले विष्णु जी शिवजी से मिलने प्रतिदिन जाते हैं उनसे वतियाते हैं, उनका तो कुछ नही जाता पर शिवजी के गले में पड़े सांप को देखकर मेरे मुह में पानी भर आता है, इतने स्वस्थ इतने लजीज इतने पौष्टिक साँप मेरी जगह होते तो क्या करते आप, कुछ दिन मैं साँप खाना चाहता  हूँ, इसलिए छूटियाँ लेकर हिंदुस्तान जाना चाहता हूँ। भारत ने बहुत सारे साँप पाल रखे हैं अपनी आस्तीन में संभाल रखे हैं।

मोर ने कहा  नीचे देखो सुन्दर अभिनेत्री मुझे बुला रही है देखो कितना शोर मचा रही है " यह दिल मांगे मोर" यह दिल मांगे मोर। अपने मोर होने का फ़र्ज़ निभाउंगा ,मुम्बई जाऊंगा अपने पैर नही इनका नंगा बदन देख के मेरा मन रोता है , इन्हें सिखाऊंगा देखो नृत्य ऐसे होता है

चूहे से पूछा गया छुट्टी क्यों चाहिए बताओ चूहा बोला कारण अपने आप समझ में आ जायेगा थोड़ी देर मेरे सवार को अपने ऊपर बिठा कर दिखाओ। डीओ मिनट में करने लगोगे हाय हाय वो सवार और यह सवारी कितना बड़ा अन्याय । महाराज मुझे न्याय चाहिए सेंट परसेंट छुट्टी क्या मुझे तो चाहिए रिटायरमेंट ।रिटायरमेंट इसलिए चाहिए हुजूर एक बार अंगड़ाई लेना चाहता हूँ भरपूर। सरकारी गोदाम में जाऊंगा और अपनी fevorite डिश खाऊंगा मैं कुतुरुंगा उनवनो को जो सिर्फ फाइलो में उगे हैं और प्लेग फैलाउंगा उनमे जो इंसानियत कुतरने में लगे हैं।

उधर गधा चार रहा था घास ब्रह्मा जी खुद गए उसके पास, बोले तुम्हें भी छुट्टी चाहिए मिल जाय तो सही है वर्ना कोई नही
सॉरी ब्रह्मा जी जल्दबाजी में मई क्या बक गया हूँ असली बात यह है की मैं बाप बनते बनते थक गया हूँ
छुट्टी अगर मिल जाय तो सुर में रेकना चाहता हूँ और जिन्होंने मुझे बाप बनाया उनकी माएं देखना चाहता हूँ।
अंत में प्रकट हुआ वाहन भैंसा , बोला सबने अपनी कहली तो मुझे संकोच कैसा मेरी डिमांड थोड़ी न्यारी है मुझे छुट्टी से ज्यादा ड्यूटी प्यारी है , मेरी मांग हो सकता है आपको खले मैं यमराज के हिसाब से बहुत चलचुका आप चाहता हूँ कुछ दिन यमराज मेरे हिसाब से चलें। मैं भ्रस्टाचार की जडें खोदना चाहता हूँ नयन्त्रं रेखा पार कर आतंकवादी शिविर रौंदना चाहता हूँ।

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