कविता तिवारी जी जो कि वीर रस की कविता का पाठ करने के लिए जानी जाती हैं। मूलतः उत्तर प्रदेश के लखनऊ से आती हैं। कविता तिवारी की देश प्रेम , देशभक्ति की कविताएं आखों को नम कर देने वाली होती हैं। साथ ही उनकी बुलंद आवाज की कविता पाठ में ऊर्जा देखने योग्य होती है। जो भी कविता तिवारी की देशप्रेम से भरी कविताओं को सुनता है भावविभोर हो उठता है। मन देश प्रेम से ओतप्रोत हो जाता है। निम्नाकित कविता "बोलो भारत माता की जय" कविता तिवारी की देशभक्ति कविता है जिसके बोल इस प्रकार हैं...
माँ धरती धरती है संयम
सहती है खुद पर प्रबल भार
ीतने भी कोई जुल्म करे
पर नही मानती कभी हार
इस बसुंधरा पर अखिल विश्व
जिसकी भौगोलिक भाषा है
प्रत्येक खण्ड में सजे देश
सबकी यही अभिलाषा है
हर एक देश को नाज रहा
सच्चा है अथवा झूठा है
कर्तव्यो और उपायो से निर्मित
सम्मान अनूठा है
निज आर्यब्रत की ओर ध्यान आकृष्ट
कराने आई हूँ
कुछ शब्द सुमन वाली कविता स्वागत में चुनकर लायी हूँ
अपने अतीत का ज्ञान चक्षु हम सबको यह बतलाता है
नीतियाँ समर्पण वाली हों इतिहास अमर हो जाता है
चाहे हो कलुषित भाव किन्तु
दिखलादों अपना सरल हृदय सबसे करबद्ध निवेदन है
"बोलो भारत माता की जय"
छः ऋतुओ वाला श्रेष्ठ देश
दुनिया का सबसे ज्येष्ठ देश
अध्ध्यान करने पर पाओगे
पूरी बसुधा पर है बिशेष
सभ्यता यहाँ पर जिंदा है
पूजे जाते हैं संस्कार
कल कल कल करती हैं पावन नदियां
लेकर अपनी धवल धार
हिमवान किरीट बना जिसका
उत्तर में प्रहरी के समान
दक्षिण में सिंधु पखार चरण
देता रहता है अभयदान
पूरव में खाड़ी का गौरव
सीमा को रक्षित करता है
पश्चिम में अपना अरब सिंधु नित ऊर्जा का दम भरता है
त्योहार अनूठे लगते हैं
व्यवहार अनूठे लगते हैं
खोजोगे तो पाओगे जबाव
मनुहार अनूठे लगते है
ऐसी है भारत की धरती
रहता है जहां जीव निर्भय
सत्ता से यदि हो गयी चूक
तो ईश्वर करता है निर्णय
होगा बाल न बांका हरगिज़
कर लोगे यदि मन में निश्चय
सबसे करबद्ध निवेदन है "बोलो भारत माता की जय"
मजदूर जहां श्रम साधक है
उस भूमि भाग का क्या कहना
नित मेहनत का आराधक है
उस भूमि भाग का क्या कहना
बढ़ती ही रहती है प्रतिपल
भारत माता की अमिट शान
पोषित करती है जो संज्ञा
हम सब उसको कहते किसान
दर्शन दर्पण का करो
चित्र हर ओर भला है चंगा है
लहराता नील गगन पथ पर
वह अपना पूज्य तिरंगा है
तैयार हमेशा रहते हैं
दुश्मन का दर्प मिटाने को
सकुचाते नहीं किशोर यहाँ
बली वेदी पर चढ़ जाने को
बचना है या फिर मारना है करना है
सिर्फ अखंड अजय
सबसे करबद्ध निवेदन है "बोलो भारत माता की जय"
कविता तिवारी
बेर झूठे ना यदि करती तो परीक्षा व्यर्थ हो जाती जटायु के कटे करो की समीक्षा व्यर्थ हो जाती अगर रावण दहन के संग जानकी की लाज ना बचती तू 14 बरस की तपस्या व्यर्थ हो जाती
चार पंक्तियाँ
पृथक हर धर्म होता है पृथक परिवेश से होता है पृथकता में रहे मिलकर यही उद्देश्य होता है
जहां रहते हैं हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
जो समझे देश को अपना उसी का देश होता है
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Nice ones
जवाब देंहटाएंbahut hi sundaar
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंNice poem and thanks a lot..........
जवाब देंहटाएंGreat poem 🇮🇳🇮🇳🙏🙏🙏
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